Kalashtami: लाइफ में आ रहे कष्ट होंगे दूर, गृहस्थी इस विधि से करें बाबा भैरव की पूजा

punjabkesari.in Friday, May 12, 2023 - 10:35 AM (IST)

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Kalashtami 2023 : ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी कालाष्टमी कहलाती है। इस साल कालाष्टमी आज यानी 12 मई को पड़ रही है। तंत्र विद्या सीखने वाले साधकों के लिए कालाष्टमी का विशेष महत्व है। कालाष्टमी की रात तंत्र विद्या सीखने वाले साधक पूजा-अर्चना और व्रत कर सिद्धि प्राप्त करने के लिए अनुष्ठान करते हैं। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप बाबा काल भैरव की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख शांति स्थापित होती है। लाइफ में आ रहे कष्ट, संकट, काल और दुख समाप्त हो सकते हैं। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको कालाष्टमी व्रत का महत्व और पूजा विधि के बारे में बताएंगे।

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PunjabKesari Kalashtami 2023

Vaishakh Kalashtami 2023 auspicious time वैशाख कालाष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार कालाष्टमी तिथि 12 मई को सुबह 9 बजकर 6 मिनट पर लग जाएगी और समापन 13 मई को सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर होगा। साधक काल भैरव की पूजा रात में करते हैं, इसलिए कालाष्‍टमी 12 मई की ही मनाई जाएगी। इसी दिन व्रत रखा जाएगा।

Baba Bhairav reduces the effect of Rahu-Ketu sitting in the horoscope कुंडली में बैठे राहु-केतु के प्रभाव को करते हैं कम बाबा भैरव
धार्मिक पुराणों में उल्लेख है कि जिन लोगों की कुंडली में राहु और केतु अशुभ स्थिति में बैठे हों तो इन जातकों को कालाष्टमी के दिन बाबा भैरव की खास पूजा-अनुष्ठान करना चाहिए। ऐसा करने से पाप ग्रहों के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।

अघोरी और तांत्रिक सिद्धियां पाने के लिए करते हैं काल भैरव की पूजा
काल भैरव के बारे में अधिकतर लोगों को मानना है कि इनकी पूजा सिर्फ अधोरी और तांत्रिक सिद्दि पाने के लिए करते हैं। पंचाग में कहा गया है कि कालाष्टमी के दिन गृहस्थ जीवन वाले भी काल भैरव की पूजा कर सकते हैं। पुराणों में इसके लिए कुछ नियम बताए गए हैं। इनका पालन करेंगे तो बाबा काल भैरव आप पर अपनी कृपा बरसाएंगे।

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Such is the form of Bhairav Baba ऐसा है भैरव बाबा का रूप
पुराणों में कालाष्टमी के दिन भगवान शिव का विग्रह रूप माने जाने वाले काल भैरव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। बाबा काल भैरव को शिव का पांचवां अवतार माना जाता है। भैरव काशी के कोतवाल भी कहे जाते हैं। भैरव का सबसे सौम्य रूप बटुक भैरव और उग्र रूप काल भैरव है। काल भैरव को दंडाधिकारी भी कहा जाता है। ऐसा कहते हैं जो सच्चे मन से कालाष्टमी पर काल भैरव की उपासना करता है, उसके जीवन में समस्त सांसारिक बाधाएं, शोक, रोग और दोष दूर हो जाते हैं।

How to worship Lord Bhairav by householders गृहस्थ जीवन वाले कैसे करें पूजा भगवान भैरव की पूजा
भगवान भैरव को शिव का उग्र अवतार माना जाता है। कालाष्टमी पर वैसे तो रात में पूजा अधिक फलदायी है लेकिन गृहस्थ जीवन से जुड़े लोग इस दिन सुबह के समय साधारण पूजा कर सकते हैं। इसके लिए सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध कर लें। इसके बाद पूजा की जगह पर लकड़ी की चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की तस्वीर स्थापित करें। उन्हें  पुष्प, चंदन, रोली अर्पित करें। काल भैरव का ध्यान करते हुए नारियल, इमरती और पान का भोग लगाएं।
चौमुखी दीपक जलाएं और भैरव चालिसा का पाठ करें।

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ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा।।' मंत्र का रुद्राक्ष की माला से 108 बार जाप करें।

रात में भी भैरवाष्टक का पाठ कर सकते हैं।

ऐसी मान्यता है इस विधि से पूजा करने पर काल भैरव साधक के सभी प्रकार के भय हर लेते हैं। इस बात का खास ध्यान रखें कि गृहस्थ जीवन वाले भूलकर भी तामसिक पूजा न करें।

chant these mantras of Lord Bhairav इन मंत्रों का करें जाप
ओम कालभैरवाय नम:
ओम भयहरणं च भैरव
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड राष्ट्रीय गौरव रत्न से विभूषित
पंडित सुधांशु तिवारी
panditsudhanshutiwariji@gamil.com
9005804317

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Content Writer

Niyati Bhandari

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