Kajari Teej Vrat Katha: कजरी तीज व्रत का शुभ फल प्राप्त करने के लिए आज पढ़ना न भूलें ये कथा

punjabkesari.in Saturday, Sep 02, 2023 - 02:06 PM (IST)

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Kajari Teej Vrat Katha: आज 2 सितंबर शनिवार के दिन कजरी तीज का पर्व मनाया जाएगा। रक्षाबंधन के तीन दिन बाद ये तीज मनाई जाती है। इसे सातुड़ी तीज और बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं। वहीं अविवाहित युवतियां भी सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए व्रत का पालन करती हैं। वैसे तो ज्यादातर कजरी तीज का पर्व भारत के हर हिस्से में मनाया जाता है लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में इस पर्व की एक अलग ही धूम देखने को मिलती है। आज के दिन महिलाएं व्रत रखकर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करती हैं। कोई भी पूजा-पाठ कथा के बिना पूर्ण नहीं माना जाता है। अगर व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करना चाहते हैं तो त्यौहार से जुड़ी कथा अवश्य पढ़नी चाहिए। तो चलिए जानते हैं, कजरी तीज के मौके पर कौन सी कथा पढ़नी चाहिए। जिससे पूजा और व्रत दोनों पूर्ण हो जाएं।

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Story of Kajri Teej कजरी तीज की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में एक ब्राह्मण और ब्राह्मणी रहते थे, जो बहुत गरीब थे। ब्राह्मण की पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखा। व्रत की पूजा करने के लिए उसने अपनी पति से कहा कि वो उसके लिए चने का सत्तू लेकर आए। ये सुनकर पति बहुत हैरान-परेशान हो गया क्योंकि उसके पास सत्तू खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। बहुत देर सोचने के बाद उसने चोरी करने का विचार बनाया।

रात का समय था और ब्राह्मण चोरी करने निकल गया। वो एक साहूकार की दुकान में पहुंचा। चोरी करने के बाद वो जैसे ही बाहर निकलने लगा। साहूकार की नींद खुल गई और उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया। उधर चांद निकल गया था ब्राह्मण की पत्नी बेसब्री से अपने पति के आने का इन्तजार कर रही थी। जब ब्राह्मण पकड़ा गया तो उसने साहूकार से बहुत मांफी मांगी और कहा कि वो कोई चोर नहीं है, मजबूरी की वजह से उसे चोरी करनी पड़ी। पहले उस साहूकार को ब्राह्मण की बात पर यकीन नहीं हुआ लेकिन जब उसने छान-बीन की तो सत्तू के अलावा ब्राह्मण के पास से कुछ नहीं मिला।

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ब्राह्मण की सारी बातें सुनने के बाद साहूकार ने कहा कि वो उसे माफ कर देगा लेकिन एक शर्त पर। वो शर्त ये थी कि आज से वो उसकी पत्नी को अपनी धर्म बहन मानेगा। इन सारी बातों के बाद साहूकार ने बहुत सा सत्तू, गहने, मेहंदी और पैसे दे कर ब्राह्मण को प्रेम से विदा कर दिया।

जिस प्रकार उस ब्राह्मण के जीवन से दुःख चला गया। उसी तरह कजली तीज माता सब की मनोकामना को पूर्ण कर सुखी जीवन का आशीर्वाद आप सब पर बनाए रखें।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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