आश्चर्यजनक वास्तुकला वाला ‘कैलाशनाथ मंदिर’, जानिए इसकी विशेषता
punjabkesari.in Sunday, May 01, 2022 - 12:50 PM (IST)
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कैलाशनाथ मंदिर
कैलाशनाथ मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले की एलोरा की गुफाओं में स्थित भारत का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह अपनी आश्चर्यजनक संरचना एवं वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इसे पहाड़ को काट कर बनाए गए विश्व के सबसे बड़े मंदिरों में से एक माना जाता है। एलोरा में स्थित लयण-श्रृंखला के अनुसार कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के शासक कृष्ण प्रथम ने 757 ई. से 783 ई. के मध्य करवाया था। 16वीं शताब्दी में मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को नष्ट करनेेे के लिए अपने 3000 सैनिकों को भेजा। औरंगजेब के सैनिकों ने लगभग 3 वर्ष तक मंदिर को नष्ट करने का पूर्ण प्रयास किया इस दौरान इस मंदिर को थोड़ी - बहुत क्षति पहुंची लेकिन वह इस मंदिर को पूरी तरह से नष्ट करने में असफल रहा।
श्री वराह लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर
श्री वराह लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर, सिंहाचलम मंदिर आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में समुद्र तल से 300 मीटर ऊपर स्थित है। यह विष्णु को समर्पित मंदिर है जिन्हें वहां वराह नरसिंह के रूप में पूजा जाता है । मंदिर की कथा के अनुसार, विष्णु अपने भक्त प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप का संहार करने के लिए इस रूप (शेर के सिर और मानव शरीर) में प्रकट हुए थे। अक्षय तृतीया को छोड़कर वराह नरसिम्हा की मूर्ति को साल भर चंदन के लेप से ढंका जाता है, जो इसे एक ङ्क्षलग जैसा बनाता है। सिंहचलम आंध्र प्रदेश के 32 नरसिंह मंदिरों में से एक है जो महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं। मध्यकाल में इसे श्रीकुरम और अन्य लोगों के साथ वैष्णववाद का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता था। मंदिर का सबसे पहला शिलालेख 11वीं शताब्दी का है।मंदिर का मुख पूर्व की बजाय पश्चिम की ओर है, जो विजय का प्रतीक है। मंदिर के दो तालाब हैं, मंदिर के पास स्वामी पुष्करिणी और पहाड़ी के तल पर गंगाधारा।
श्री वीरा वेंकट सत्यनारायणस्वामी मंदिर
श्री वीरा वेंकट सत्यनारायणस्वामी मंदिर या अन्नावरम मंदिर आंध्र प्रदेश राज्य के पूर्वी गोदावरी जिले में पम्पा नदी के तट पर अन्नावरम शहर में स्थित एक ङ्क्षहदू वैष्णव मंदिर है। मंदिर रत्नागिरी नामक पहाड़ी पर है। अन्नावरम भारत में सबसे प्रसिद्ध पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है और आंध्र प्रदेश में तिरुपति के बाद दूसरे स्थान पर है। यह मंदिर अन्नावरम में स्थित है जो पिथापुरम से 30 और विशाखापत्तनम से 108 किलोमीटर दूर है।
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