Kaal Bhairav Jayanti puja: घर की सुरक्षा और आर्थिक वृद्धि के लिए इस विधि से करें काल भैरव जयंती की पूजा
punjabkesari.in Tuesday, Nov 11, 2025 - 07:33 AM (IST)
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Kaal Bhairav Jayanti puja 2025: 12 नवम्बर 2025 को काल भैरव जयंती मनाई जा रही है। इस दिन घर पर की गई साधना, आरती और मंत्र जप अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती हैं। यहां बताई जा रही पूजा विधि पूरी तरह घर पर की जाने योग्य, सरल और शास्त्र सम्मत है। इसे बिना किसी जटिल तांत्रिक प्रक्रिया के किया जा सकता है। काल भैरव जयंती साधना से भय, कर्ज और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। शत्रु, दुष्ट प्रवृत्ति व ग्रहदोषों का नाश होता है। घर में स्थिरता, सुरक्षा और आर्थिक वृद्धि होती है।

Kaal Bhairav Jayanti Sadhana Vidhi काल भैरव जयंती साधना विधि
सर्वश्रेष्ठ समय तिथि: 12 नवम्बर 2025 (बुधवार)
समय: रात्रि काल या प्रदोष काल (संध्या के बाद 8:00 पी.एम से 11:00 पी.एम के बीच)

Kaal Bhairav Jayanti Puja Directions काल भैरव जयंती पूजा दिशा: उत्तर या पश्चिम की ओर मुख करके पूजा करें।
Kaal Bhairav Jayanti Puja Items काल भैरव जयंती पूजा सामग्री
आसन के रूप में काला वस्त्र
भगवान काल भैरव की तस्वीर या प्रतिमा
काला तिल, उड़द दाल, सरसों तेल का दीपक
इमरती, दही-बड़ा, या तिल लड्डू का भोग
नींबू, काले फूल
धूप, अगरबत्ती, कपूर
जल, चावल, रोली, सिंदूर, पंचमेवा

Kaal Bhairav Jayanti Puja Procedure काल भैरव जयंती पूजन विधि
स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल पर काला कपड़ा बिछाएं और भगवान काल भैरव की तस्वीर/प्रतिमा स्थापित करें।
दीपक में सरसों या तिल का तेल डालें और चार बत्ती जलाएं।
अब ॐ कालभैरवाय नमः कहते हुए जल, चावल, फूल, धूप, दीप अर्पित करें।
भगवान को इमरती, उड़द की खिचड़ी या तिल लड्डू का भोग लगाएं।
अंत में आरती करें और मंत्र जप प्रारंभ करें।
Kal Bhairav Tantra-based Beej Mantra Sadhana काल भैरव तंत्रोक्त बीज मंत्र साधना
॥ ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः कालभैरवाय नमः ॥
जप संख्या: 108 बार (एक माला)
संकल्प: “हे काल भैरव, मैं अपने जीवन के समस्त भय, ऋण, और बाधाओं से मुक्ति के लिए यह जप कर रहा/रही हूं।”
जप करते समय ध्यान रखें कि मन एकाग्र रहे, और दीपक बुझने न पाए।
Kala Bhairava Aarti काल भैरव आरती
जय काल भैरव देवा, जय काल भैरव देवा ।
संकट हरो सब जन के, भवसागर के मेवा ॥
दिगंबर रूप तुम्हारा, भाल विराजे त्रिपुरा चंदा ।
काली घटा-सा अंबर तन, सर्पमाला सुंदर बंधा ॥
खप्पर और त्रिशूल धरे हो, काशी के तुम रक्षक भोले ।
भूत, प्रेत सब दूर भगाओ, भक्तों के संकट टाले ॥
जय काल भैरव देवा, संकट हरो सब जन के ॥
Do these things after performing the Kal Bhairav Jayanti rituals काल भैरव जयंती साधना के बाद करें ये काम
भोग भगवान को अर्पित करने के बाद थोड़ा सा प्रसाद स्वयं ग्रहण करें और परिवार को दें।
दीपक को स्वयं न बुझाएं, उसे स्वयं शांत होने दें।
यदि संभव हो, रात्रि में कालभैरवाष्टकम् पाठ करें, इससे अत्यंत शुभ फल प्राप्त होता है।

