Jupiter Transit 2025: गुरु अतिचारी, 14 मई से मेष राशि वालों की झोली भरने आ रहे हैं बृहस्पति

punjabkesari.in Sunday, May 04, 2025 - 03:52 PM (IST)

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Jupiter Transit 2025: बृहस्पति राशि बदलने जा रहे हैं 15 मई को। यह 14 मई रात्रि को राशि बदलेंगे। इस बार जो गुरु की चाल है वह सामान्य चाल नहीं है। गुरु सामान्य तौर पर डेली जो मूवमेंट करते हैं किसी भी राशि में वो 5 आर्क मिनट पर डे की स्पीड होती है। लेकिन इस बार जो गुरु की जो स्पीड है वो लगभग 11 आर्क मिनट पर डे की स्पीड से जो है वह गोचर करेंगे यानी कि ट्रांजिट करेंगे। गुरु एक साल में राशि बदलते हैं। लेकिन जब गुरु की स्पीड सामान्य से ज्यादा हो जाती है, तो गुरु का राशि परिवर्तन जल्दी भी हो जाता है। ऐसा पहले 99 में हुआ था। उसके पहले 98 में हुआ था। उस समय गुरु ने एक बार राशि बदली थी 128 दिन में। दूसरी बार राशि बदली थी 134 दिन में। इस बार राशि बदल रहे हैं 158 दिन में यानी कि यह जो राशि परिवर्तन हो रहा है। यह सिर्फ 6 महीने के आसपास लगभग 158 दिन में 1/4 महीने के आसपास में होगा। गुरु 15 मई को गोचर करेंगे। 18 अक्टूबर को निकल जाएंगे। कर्क राशि में चले जाएंगे। 18 अक्टूबर को कर्क राशि में जाकर दोबारा वापस आएंगे क्योंकि ये वक्री हो जाएंगे। वक्री होकर फिर दोबारा वापस आएंगे मिथुन में और फिर मई तक यहीं रहेंगे और मई 14, 15 के आसपास ही दोबारा राशि बदलेंगे। ये एक साल का पीरियड है। लेकिन पीरियड ऐसा है कि एक बार अतिचारी हो जाएंगे। अतिचारी शब्द एक्चुअली शीघ्र गति है। शीघ्र गति हो जाएंगे। शीघ्र गति होकर आगे जाएंगे। आगे जाकर फिर दोबारा रेट्रोगेट होंगे। रेट्रोगेट होकर पीछे आएंगे और फिर मिथुन में आ जाएंगे। तो मिथुन में यहां पर रहेंगे अगले साल मई तक। तो गुरु क्योंकि ब्लेसिंग्स के कारक हैं। आपकी कुंडली में 12 भाव होते हैं। 12 भाव में से दूसरा भाव होता है धन का। पंचम होता है बुद्धि विवेक का संतान का इसको सूत भाव कहते हैं। नवम होता है आपका भाग्य स्थान। इसे अध्यात्म भी देखा जाता है। इससे फादर की भी चर्चा की जाती है। 11वां भाव होता है आपके लाभ का यानी कि आय का।आठ में से चार भावों के कारक गुरु हैं। गुरु की तीन दृष्टियां हैं। गुरु एक स्थान पर जहां पर बैठते हैं। उसको भी प्रभावित करते हैं। तीन दृष्टियों से भी प्रभावित करते हैं। अगर चार भावों के कारक एक जहां पर बैठेंगे तीन दृष्टियां देंगे। यानी कि कुंडली के 12 में से आठ भावों के ऊपर गुरु का जो है वह इंपैक्ट रहता है।

सबसे पहले मेष राशि मेष राशि के जातकों के लिए गुरु इस समय धन राशि धन भाव के ऊपर से गोचर कर रहे हैं। यह गोचर अच्छा है। इसे शास्त्रों में शुभ गोचर कहा गया है। लेकिन गुरु आगे आ जाएंगे तीन राशि में। अब गुरु काल पुरुष की कुंडली जो कि मेष लग्न की ही होती है। उसमें धन भाव के भी भाग्य स्थान के भी स्वामी बन जाते हैं। 12वें भाव के भी स्वामी बन जाते हैं क्योंकि गुरु का थर्ड भाव का गोचर अच्छा नहीं होता। इसलिए आपको बारव के फल मिल सकते हैं।12वें का फल होता है आपका खर्चा बढ़ सकता है। हालांकि आध्यात्मिक यात्रा खूब कराएंगे गुरु। हालांकि मेष राशि में मेष राशि के जातकों के लिए जब तीसरे बैठेंगे तो वह सप्तम को एक्टिवेट कर देंगे। जिनकी शादी नहीं है उनकी शादी भी करवा देंगे क्योंकि दृष्टि तो हमेशा पॉजिटिव ही रहेगी। गुरु जब यहां पर बैठेंगे तो आपके जो नाइंथ आस्पेक्ट जाएगी। वह आय स्थान पर जाएगी। यह गुरु का अपना भाव है, तो आय स्थान को एक्टिव कर देंगे, भाग्य स्थान को एक्टिव करेंगे और तीसरे भाव को एक्टिव करेंगे। हालांकि खर्चे वाला भाव भी आपका एक्टिव रहेगा। आपको जरूर इस तरफ थोड़ा सा ध्यान रखने की जरूरत पड़ेगी। कुछ न कुछ स्लीपिंग से संबंधित समस्या हो सकती है क्योंकि 12वां भाव स्लीपिंग डिसऑर्डर का भी होता है। 12वें भाव से पैर का विचार भी किया जाता है। पैरों का थोड़ा सा जरूर ख्याल रखिएगा। यह चीजें आपके साथ थोड़ी सी डिस्टर्ब करने वाली हो सकती हैं। सिंगल लोगों की मैरिज होने के चांसेस हैं। यदि दूसरी संतान का विचार किया जा रहा है तो संतान भी हो सकती है क्योंकि नवम जो होता है। वह पंचम का पंचम होता है। तो नवम पर गुरु की दृष्टि या गुरु संतान के कारक हैं। तो निश्चित तौर पर संतान भी आ सकती है। शादी भी हो सकती है। यदि आप काम करते हैं कहीं पर जॉब करते हैं तो वहां पर आपको अच्छी ग्रोथ भी मिल सकती है।

मेष राशि के जातकों के लिए 11वां भाव एक्टिव है। नवम एक्टिव है और सप्तम एक्टिव है। तीसरे में जहां पर गुरु बैठे हैं। उसका फल वो खराब कर सकते हैं क्योंकि गुरु जहां पर बैठते हैं उस स्थान की हानि कर जाते हैं और तीसरा भाव होता है। आपके पराक्रम का। आपका कॉन्फिडेंस थोड़ा सा लो हो सकता है। छोटे भाई का यह भाव होता है। कंधे से संबंधित समस्या आपको फेस करनी पड़ सकती है। कई लोगों को सर्वाइकल का इशू हो सकता है। भाई के साथ आपकी ट्यूनिंग थोड़ी सी गड़बड़ हो सकती है या भाई को कोई समस्या हो सकती है।  मेष राशि के जितने भी जातक हैं तीसरे भाव के सिग्निफिकेंस और 12वें भाव के सिग्निफिकेंस डिस्टर्ब हो जाएंगे। सप्तम के सिग्निफिकेंस अच्छे रहेंगे। नाइंथ के सिग्निफिकेंस अच्छे रहेंगे। 11व के सिग्निफिकेंस आपके लिए अच्छे रहेंगे। यदि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन खराब है। गुरु आपकी कुंडली में एथ हाउस में है, छठे भाव में है, 12वें भाव में है, गुरु राहु केतु एक्सिस में है, शनि मंगल के साथ है। गुरु सूर्य के साथ आकर अस्त बैठे हैं, तो आपको निश्चित तौर पर गुरु की रेमेडीज कुछ जरूर करनी चाहिए।

उपाय- ओम ब्रह बृहस्पताए नमः यह गुरु का बीज मंत्र है। इसको रूटीन में आप जप सकते हैं। यह आपके लिए अच्छा है। दूसरी और सबसे अच्छी रेमेडी जिसके लिए आप ज्ञान का प्रकाश भी फैलाएंगे। आप गुरु को खुश भी करेंगे क्योंकि गुरु ही ज्ञान के कारक हैं। किसी बच्चे की हेल्प कर दीजिए किसी भी तरह की स्टडी में। यह दूसरी सबसे अच्छी रेमेडी है गुरु की। क्योंकि आपने डोनेशन करनी है न तो ऐसी जगह पर करिए। जहां पर ज्ञान का प्रकाश हो। आपके लिए डेफिनेटली अच्छा हो जाएगा। वैसे तो पीली चीजों की डोनेशन कही जाती है गुरु के लिए। लेकिन गुरु का गुरु जिस चीज के कारक है। उसका यदि हम डोनेशन करते हैं, तो निश्चित तौर पर उसके आपको अच्छे फल मिलते हैं। तीसरी चीज जो आप कर सकते हैं, वो है गुरु का जो है वो फल का पेड़ लगाना। जो नॉर्मल पेड़ होता है, वो बुध से आता है। गुरु फलदार पेड़ों के कारक है। यदि आप एक पौधा लगाते हैं। खासतौर पर जो धनु राशि के हैं या जो मीन राशि के हैं एक पौधा लगाते हैं और वह फलदार पौधा है। तो वह फलदार पौधा आपको फल तो देगा ही देगा। गुरु आपको अलग से फल देंगे। मींस आप पर्यावरण की भी हेल्प कर जाएंगे। आप गुरु भी अच्छा कर जाएंगे। 

धन में वृद्धि देंगे, प्रमोशन देंगे, संतान देंगे, भाग्य जगाएंगे। तो यह एक एक पौधे से हो सकता है। वो भले ही आम का पेड़ हो, अमरूद का पेड़ हो या आपका एप्पल का कोई भी सीजनल पेड़ जहां जहां पर भी आप रहते हैं, जहां पर भी आप रहते हैं, उस इलाके का कोई भी सीजनल फ्रूट लगा लीजिए। गुरु उस उस पेड़ के कारक हैं। यह तीसरी रेमेडी है। चौथी रेमेडी रूटीन में हम जब जाते हैं मंदिर में तो मंदिर में कोई पीली चीज का दान कर सकते हैं। जो लोग पुखराज अफोर्ड कर सकते हैं, इसे पहन लें। लेकिन उसको पहनने से पहले यह ध्यान रखिएगा कि गुरु आपका सिक्स 8वें,12वें हाउस में न हो। यदि आपकी कुंडली में गुरु छठे आठवें 12व में बैठा है, तो पुखराज गलती से भी मत पहनिए। यह आपको नुकसानदायक हो सकता है। यदि गुरु केंद्र में है, त्रिकोण में है, 11वें भाव में है, तो पुखराज पहन सकते हैं। नहीं तो इसको अवॉइड कर दें।   

नरेश कुमार
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Content Editor

Sarita Thapa

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