Janmashtami fast: जानें, कब और कैसे रखा जाएगा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत
punjabkesari.in Thursday, Aug 14, 2025 - 02:00 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Janmashtami fast 2025: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत का पालन करने से भक्त को आध्यात्मिक शांति, मन की एकाग्रता और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है। यह व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि आत्मसंयम और भक्ति का प्रतीक है। उपवास से शरीर शुद्ध होता है और मन सांसारिक चिंताओं से मुक्त होकर ईश्वर के ध्यान में लीन होता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव में सहभागिता करने से पाप क्षीण होते हैं और शुभ फल प्राप्त होते हैं। यह व्रत जीवन में प्रेम, करुणा और धैर्य जैसे गुणों को विकसित करता है, जो श्रीकृष्ण के आदर्श हैं। साथ ही परिवार में सौहार्द और सुख-समृद्धि बनी रहती है। जन्माष्टमी व्रत का महत्व इस बात में भी है कि यह हमें धर्म, सत्य और कर्तव्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है, जिससे जीवन सार्थक और मंगलमय बनता है।
When and how to keep Shri Krishna Janmashtami fast श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत कब और कैसे रखा जाए
व्रत के विषय में इस बार किसी प्रकार भी भ्रांति नहीं है। फिर भी कई लोग, अद्र्धरात्रि पर रोहिणी नक्षत्र का योग होने पर सप्तमी और अष्टमी पर व्रत रखते हैं। कुछ भक्तगण उदयव्यापिनी अष्टमी पर उपवास करते हैं।
शास्त्रकारों ने व्रत-पूजन, जपादि हेतु अद्र्धरात्रि में रहने वाली तिथि को ही मान्यता दी है। विशेषकर स्मार्त लोग अद्र्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी को यह व्रत करते हैं। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, चंडीगढ़ आदि में स्मार्त धर्मावलम्बी अर्थात गृहस्थ लोग हजारों सालों से इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए सप्तमी युक्ता अद्र्धरात्रिकालीन वाली अष्टमी को व्रत, पूजा आदि करते आ रहे हैं जबकि मथुरा, वृंंदावन सहित उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों में उदयकालीन अष्टमी के दिन ही कृष्ण जन्मोत्सव मनाते आ रहे हैं।
सुबह स्नान के बाद व्रतानुष्ठान करके ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। पूरा दिन निर्जल निराहार व्रत रखें। जो नहीं रख सकते वो फलाहार कर सकते हैं। रात्रि के समय ठीक 12 बजे, लगभग अभिजित मुहूर्त में भगवान की आरती करें। प्रतीक स्वरूप खीरा फोड़ कर, शंख ध्वनि से जन्मोत्सव मनाएं। चंद्रमा को अर्ध्य देकर नमस्कार करें तत्पश्चात मक्खन, मिश्री, धनिया, केले, मिष्ठान आदि का प्रसाद ग्रहण करें और बांटें। अगले दिन नवमी पर नन्दोत्सव मनाएं।
Shri Krishna Janmashtami auspicious time श्रीकृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त
श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 15 अगस्त रात 11:49 मिनट से शुरू होकर 16 अगस्त रात 9:34 मिनट पर समाप्त होगी। इस साल भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव है। कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी। इसमें पूजा का शुभ मुहूर्त देर रात 12:04 से 12:47 बजे तक रहेगा। चंद्रोदय समय 11:32 दोपहर और अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात 11:49 से आरंभ होकर 16 अगस्त रात 9:34 पर समाप्त होगी। जबकि रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त शाम 4:38 बजे शुरू होकर 18 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र समाप्त 18 अगस्त को सुबह 3:17 पर समाप्त होगा। इसलिए जन्माष्टमी का व्रत कई लोग सूर्योदय से लेकर रात 12 बजे तक रखते हैं तो कई लोग इस व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करते हैं।