Dahi handi 2020: क्यों जन्माष्टमी पर फोड़ते हैं दही हांडी?
punjabkesari.in Wednesday, Aug 12, 2020 - 09:38 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जन्माष्टमी का पर्व देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई कोनों में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं तथा धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद की अष्टमी तिथि को रात को रोहिणी नक्षत्र के दौरान भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिया था। इस बात से इतना तो किसी भी व्यक्ति को पता चल गया होगा कि इस दिन का सनातन धर्म में कितना महत्व है। अगर नहीं पता है तो बता दें इस दिन को बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन को लोग विभिन्न तरीकों से मनाते हैं। जिनमें से मान्यता जो सबसे अधिक प्रचलित है वो है दही हांडी। इस दौरान खासतौर पर लोग मंदिरों आदि में दही हांडी का भव्य आयोजन करते हैं। हालांकि इस बार ये आयोजन हो पाना मुश्किल। क्योंकि इस भव्य आयोजन में लोगों की भीड़ शामिल होती है, जो कोरोना के मद्देनज़र ठीक नहीं होगा, इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। मगर इसे क्यो मनाया जाता है, इससे जुड़ा धार्मिक महत्व क्या है। इस बारे में हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से जानकारी ज़रूर देंगे।
धार्मिक शास्त्रों में श्री कृष्ण के बारे में जो वर्णव मिलता है उसके अनुसार इन्हें मक्खन तथा मिश्री बेहद पसंद है। यही कारण है कि इनकी पूजन के बाद लगने वाले भोग में इन चीज़ों को ज़रूर शामिल किया जाता है। कथाओं के अनुसार अपनी बाल्य अवस्था में गोपियों की मटकियों से मक्खन चुराकर खाया करते थे। जिसके बाद परेशान होकर उनकी शिकायत मां यशोदा से करने आती थीं। किंतु माता के समझाने पर भी उन पर कोई असर नहीं होता था और वे रोज़ाना गोपियां को परेशान करके मक्खन चुराते और दोस्तों के साथ बैठकर उसके खाते।
कथाओं के अनुसार गोपियां इनसे परेशान होकर दही और मक्खन को बचाने के लिए मटकी में जालकर किसी तरह के ऊंचाई पर चांग देती थीं ताकि कान्हा उस तक पहुंच न पाए। मगर कान्हा भी अपनी चतुराई से मटकी से दही व माखन को चुरा लेते थे। बता दें श्री कृष्ण की इन्हीं शरारत भरी लीलाओ के कारण उन्हें माखन चोर के नाम से जाना जाता था।
और वर्तमान समय में इनकी इन लीलाओं को याद करके ही दही हांडी का उत्सव देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है। इसके अलावा आपकी जानकारी के लिए बता दें श्रीमद्भागवत दशम स्कंध में कृष्ण जन्म का उल्लेख मिलता है। जिसमें बताया गया है कि जब श्री कृष्ण पृथ्वी पर अर्धरात्रि में अवतरित हुए तो ब्रज में घनघोर बादल छाए थे। कहा जाता है कि आज भी कृष्ण जन्म के दिन व समय अर्धरात्रि में चंद्रमा उदय होता है।