Jain Dharm Pratha: जानें, क्यों कई दिनों तक नहीं नहाते जैन धर्म में साधु-साधवी
punjabkesari.in Monday, Feb 26, 2024 - 10:57 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Jain Dharm Pratha: हर धर्म के अपने कुछ रूल्स होते हैं, जिन्हें उस धर्म के व्यक्ति को अपनाना ही पड़ता है। ऐसे ही जैन धर्म में कुछ ऐसी प्रथाएं जो आपको हैरान कर देंगी। बता दें कि जैन धर्म को दो पंथों में बांटा गया है एक श्वेताबंर और एक दिगंबर। इस धर्म के लोग बहुत ही श्रद्धापूर्वक इनके निमयों को फॉलो करते हैं। श्वेताबंर लोग सफ़ेद वस्त्र धारण करते हैं तो दूसरी तरफ दिगंबर लोग अपने तन पर एक भी कपड़ा नहीं पहनते हैं। इसके अलावा एक और मान्यता है कि जैन धर्म के लोग नहाते नहीं हैं, लेकिन बावजूद भी वो बहुत ही पवित्र होते हैं। आपको ये सुनने के बाद काफी हैरानी हो रही होगी की ऐसा क्यों होता है। तो चलिए आपकी जिज्ञासा को दूर करने के लिए जानते हैं इस प्रथा के बारे में।
Why don't the monks and nuns of Jainism take bath क्यों नहीं करते जैन धर्म के साधु-साधवी स्नान ?
जैन धर्म में बहुत से निमयों का पालन किया जाता है। कई-कई नियम तो बहुत ही कठिन होते हैं, इन्हीं में से एक नियम है न नहाने वाला। चाहे जितनी मर्जी ठंड हो या फिर गर्मी जैन धर्म के लोग कभी नहीं नहाते हैं। ये लोग अपने शरीर को बस कपड़े से पौंछते हैं। इसे जुड़ी मान्यता यह है कि जैन धर्म के लोगों का मानना है कि शरीर से ज्यादा मन का साफ़ होना बहुत ही जरुरी है। अगर आपका मन साफ़ है तो बिना पानी के ही आपका शरीर साफ़ हो जाएगा। इसी वजह से जैन साधु-साध्वी स्नान करने को महत्वपूर्ण नहीं मानते हैं।
न नहाने का एक और कारण यह भी है कि एक व्यक्ति के शरीर पर बहुत से सूक्ष्म जीव होते हैं। जैन धर्म के अनुसार नहाते समय ये मर जाते हैं और इसे पाप समझा जाता है। इन्हीं जीवों की रक्षा के लिए जैन साधु-साध्वी किसी पलंग पर नहीं सोते हैं। ठण्ड हो या गर्मी ये हमेशा जमीन पर ही सोते हैं। इसके अलावा जैन धर्म के लोग दिन में एक बार ही भोजन करते हैं।