पुरी के जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी ये बातें नहीं जानते होंगे आप !

punjabkesari.in Thursday, Mar 28, 2019 - 02:51 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
भारत देश में विष्णु भगवान के कई ऐसे मंदिर हैं जो पूरे देश की आस्था का केंद्र हैं। इन सभी मंदिरों में इनके विभिन्न रूप स्थापित हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान विष्णु के अवतार जगन्नाथ के मंदिर के बारे में। इस मंदिर के बारे में लगभग सभी जानते ही हैं। भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी का 214 फुट ऊंचा श्री जगन्नाथ मंदिर भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण/विष्णु) जो को समर्पित है। कहा जता है कि ये न केवल हिंदूस्तान में आस्था का केंद्र बल्कि ये पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध है। मं‍दिर के देखने पर पता चलत है यहां का आर्किटेक्ट इतना भव्य है कि विश्व के हर कोने से वास्तु विशेषज्ञ इस पर रिसर्च करने आते हैं। जानते हैं इससे जुड़े कुछ खास तथ्य-
PunjabKesari, Jagannath temple of Puri, Odisa Jagannath Temple
कहते हैं कि पुरी में किसी भी स्थान से मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखें तब भी वह आपको हमेशा अपने सामने ही लगा दिखता है।

मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज की विशेषता ये है कि यह हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
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आपको पता ही होगा कि सामान्य दिनों में हवा समुद्र से ज़मीन की तरफ आती है और शाम के दौरान इसके विपरीत, परंतु पुरी में इसका उल्टा होता है।
मंदिर के मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य रहती है।

मंदिर के पुजारियों के अनुसार मंदिर की रसोई में प्रसाद तैयार करने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखे जाते हैं और सब लकड़ी पर ही पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में सबसे ऊपर वाले बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे के बर्तनों में एक-एक करके खाना पकाया जात है।
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मान्यता है कि मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर (मंदिर के अंदर से) सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि को नहीं सुना जा सकता। एक कदम को पार करने के बाद ही इसी आवाज़ को सुना जा सकता है। शाम के समय इसे स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है।

कहते हैं पुरी ते श्री जगन्नाथ  मंदिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है और परिसर का क्षेत्रफल 4 लाख वर्गफुट में है। इस रसोईघर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए जाने वाले महाप्रसाद के तैयार करने के लिए लगभग 500 रसोइए और 300 सहायक-सहयोगी का इस्तमाल होता है।
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यहां रोज़ाना सायंकाल मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता है।

कहा जाता है कि आज तक मंदिर के ऊपर किसी पक्षी या विमानों को उड़ते हुए नहीं देखा गया है।
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Jyoti

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