ऐसा करने से आपका आशियाना बन सकता है मंदिर

punjabkesari.in Thursday, Jan 26, 2017 - 01:02 PM (IST)

एक बार की बात है कि मगध के व्यापारी को व्यापार में बहुत लाभ हुआ। इसके बाद से वह अपने अधीनस्थों से अहंकारपूर्ण व्यवहार करने लगा।  व्यापारी का अहंकार इतना प्रबल था कि उसको देखते हुए उसके परिजन भी अहंकार के वशीभूत हो गए। जब सभी के अहंकार आपस में टकराने लगे तो घर का वातावरण नरक की तरह हो गया। 


दुखी होकर एक दिन वह व्यापारी भगवान बुद्ध के पास पहुंचा और बोला, ‘भगवान! मुझे इस नरक से मुक्ति दिलाइए। मैं भी भिक्षु बनना चाहता हूं।’ भगवान बुद्ध गम्भीर स्वर में बोले, ‘अभी तुम्हारे भिक्षु बनने का समय नहीं आया है।’  


उन्होंने कहा कि भिक्षु को पलायनवादी नहीं होना चाहिए। जैसे व्यवहार की अपेक्षा तुम दूसरों से करते हो स्वयं भी दूसरों के प्रति वैसा ही व्यवहार करो। ऐसा करने से तुम्हारा घर ही मंदिर बन जाएगा। उस व्यापारी ने भगवान बुद्ध की सीख को अपनाया और घर का वातावरण स्वत: बदल गया। आप दूसरों के साथ वह व्यवहार न करो जो तुम्हें अपने लिए पसंद नहीं। 


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