Inspirational Story: महान बनने का मंत्र, क्या आप भी जानते हैं क्यों प्रश्न करना जरूरी है ?

punjabkesari.in Sunday, Aug 03, 2025 - 09:20 AM (IST)

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Inspirational Story: दार्शनिक सुकरात का अधिकतर समय पढ़ने-लिखने में ही बीतता था। उनके कई शिष्य थे  जिनमें एक प्लेटो भी थे। प्लेटो शुरुआत में अध्ययन कम करते थे और सवाल ज्यादा पूछते थे। दूसरे शिष्य बोलते, “प्लेटो हमारी पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न करते हैं। यह अधिकतर इधर-उधर के प्रश्न पूछते है।” 

विद्यार्थियों की ऐसी बातें सुनकर अक्सर सुकरात कहते, “जो प्रश्न अधिक पूछते हैं, वे एक दिन महान अवश्य बनते हैं। तुम देखना प्लेटो भी एक दिन इतिहास रचेगा।” यह बात सुकरात अक्सर प्लेटो की अनुपस्थिति में बोलते थे।

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उन्होेंने प्लेटो की कुशाग्र बुद्धि को परख लिया था। एक बार सुकरात ने प्लेटो को अपने अध्ययन कक्ष में ही रोक लिया और उनसे पुस्तकों को छांटने के लिए कहा। जब प्लेटो सुकरात के कक्ष में पुस्तकें देख रहे थे तो आदतवश उन्होंने प्रश्न किया, “आप हमेशा पढ़ते कैसे रहते हैं ? मुझे भी इसका राज बताएं।” 

प्लेटो की  बात सुनकर सुकरात बोले, “जाकर तुम भी कुछ पढ़ो, नहीं तो जिंदगी भर ‘प्लातोन’ ही बने रहोगे।” प्लेटो को बचपन में लोग प्लातोन कहकर पुकारते थे। प्लातोन का अर्थ बुद्धू होता है। सुकरात की इस बात को सुनकर न जाने प्लेटो की कौन सी शक्ति जागृत हुई कि वह उसी समय वहां से चले गए और अपने कक्ष की किताबों को पोंछकर उन्हें पढ़ना आरंभ कर दिया। 

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फिर तो उन्हें पढ़ने का ऐसा शौक चढ़ा कि वह भी अपना अधिकतर समय पढ़ने में ही बिताने लगे और सुकरात के प्रिय शिष्य बन गए।

प्लेटो ने धीरे-धीरे लिखना आरंभ कर दिया। उन्होंने काव्यशास्त्र का एक सिद्धांत लिखा। साहित्य जगत में इस सिद्धांत को ‘प्लेटो के अनुकरण सिद्धांत’ के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार प्लेटो ने अपने गुरु का नाम रोशन किया।
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Content Editor

Prachi Sharma

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