Inspirational Story: इस तरह करें न्याय और अन्याय में फर्क
punjabkesari.in Sunday, Feb 16, 2025 - 12:48 PM (IST)
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शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Inspirational Story: एक सम्राट की नींद किसी युवती की सिसकी से खुल गई। उसने सेवक से पता लगाने को कहा। सेवक ने आकर बताया कि एक युवती अपनी ससुराल जा रही है। यह उसी के रुदन का स्वर था। “कौन लेजा रहा है उसे ससुराल?” सम्राट ने पूछा। “दामाद आया था। वही ले जा रहा है।”
सेवक ने उत्तर दिया, “तब तो दामाद नाम का प्राणी बहुत निर्दयी होता है। ऐसे प्राणियों को फांसी दे दी जाए।” सम्राट ने हुकम सुनाया।
मंत्री ने सोचा आज्ञा पालन तो जरूरी है, पर अन्याय भी नहीं होना चाहिए। मंत्री ने लोहे, चांदी और सोने की जंजीरें बनाने का हुक्म दे दिया। दूसरे दिन शाम को वह सम्राट के पास पहुंचा और बोला, “दामादों को फांसी देने की तैयारी हो चुकी है। आप चलें और देख लें।”
सम्राट मंत्री के साथ एक विशाल मैदान में पहुंचा। फांसी की जंजीरों को देख सम्राट ने पूछा, “इतनी तरह की जंजीरें क्यों लगाई हैं। सब एक जैसी क्यों नहीं?”
मंत्री ने कहा, “फांसी देते समय व्यक्ति की गरिमा और उसके पद का ख्याल तो रखना ही पड़ेगा। आप भी तो किसी के दामाद हैं। जब आपको फांसी देने की बारी आएगी तो सोने की जंजीर का प्रयोग किया जाएगा।”
सम्राट बोला, “तो क्या मुझे भी फांसी लगेगी?” “क्यों नहीं लगेगी। आप का आदेश है कि दामादों को फांसी दे दी जाए।
आश्चर्य में डूबे सम्राट ने कहा, “जंजीर सोने की हो,लोहे की क्या फर्क पड़ता है। कार्य तो दोनों का एक ही है- व्यक्ति के प्राण लेना।”
मंत्री बोला, “यह तो आप सोचें। हमें तो आदेश का पालन करना है।” सम्राट ने अपना आदेश वापस लेते हुए कहा, “न्याय करते हुए अपने विवेक का प्रयोग करना जरूरी है। मैं यही नहीं कर सका था।”