Inspirational Story: इंसानियत में ही सभी धर्मों का वास होता है

punjabkesari.in Saturday, Jan 25, 2025 - 12:24 PM (IST)

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Inspirational Story:  एक दिन एक महानुभाव सवेरे-सवेरे टहल कर अपनी कुटिया पर लौटे। उन्होंने कुटिया के बाहर एक दीन-हीन व्यक्ति को पड़ा पाया। उसके शरीर से मवाद बह रहा था। वह कुष्ठ रोग से पीड़ित था। उस व्यक्ति ने अपनी धीमी आवाज में महानुभाव को हाथ जोड़ते हुए कहा, ‘मैं आपके दरवाजे पर शांतिपूर्वक मरने आया हूं।’

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रोगी की इस हालत से उन महानुभाव का हृदय द्रवित हो उठा पर उसे वह आश्रय कैसे दें। वह अकेले तो थे नहीं, कुटिया में और भी बहुत से भाई-बहन रहते थे। वह कुटिया में गए तो अंतर मन से आवाज आई, ‘तू अपने आपको सेवक कहता है, इंसानियत की सेवा का दावा करता है और दूसरी ओर उस दुखी, बेबस आदमी को ठुकराता है?’ 

अंत में उन्होंने निश्चय किया कि जो व्यक्ति सही मायने में अपने कर्त्तव्य का पालन करता है वह दूसरों की नाराजगी की परवाह क्यों करे? इस निश्चय के बाद उन्होंने अपने बराबर की कोठरी खाली कराई और असाध्य रोगी को उसमें रखा। 

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इतना ही नहीं, मानवता के उस पुजारी ने अपने हाथ से रोगी के घाव धोए, मवाद साफ किया और दवा लगाई। रोगी वहां रहा और परमशांति के साथ उसकी जीवन लीला समाप्त हुई। वह महानुभाव थे बापू जिनके लिए मानव सर्वोपरि था और सेवा जिनके लिए जीवन का चरम लक्ष्य थी। रोगी थे संस्कृत के प्रकांड विद्वान परचुरे शास्त्री।

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Content Editor

Sarita Thapa

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