Inspirational Story: क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल और उनकी मां का वार्तालाप पढ़ आपकी आंखें भी हो जाएंगी नम

punjabkesari.in Tuesday, May 09, 2023 - 10:12 AM (IST)

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Inspirational Context: क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल ने फांसी होने से पहले जेल से अपनी मां को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा, ‘‘केवल एक ही इच्छा थी कि तुम्हारे चरणों की सेवा कर अपना जीवन सफल करूं। किन्तु यह इच्छा पूरी होती नजर नहीं आती। शायद मेरी फांसी की सूचना तुम्हें जल्दी ही मिले। मां, मुझे विश्वास है कि तुम यह समझकर धैर्य रख लोगी कि तुम्हारा पुत्र भारत-माता की सेवा में भेंट हो गया, उसने तुम्हारी कोख को कलंकित नहीं किया।

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फांसी का हुक्म सुनाए जाने के बाद एक दिन मां बिस्मिल से मिलने गोरखपुर जेल गईं तो बिस्मिल अपनी मां को देखकर रो पड़े।

तब मां बोली, ‘‘मैं तो समझती थी कि मेरा बेटा बहादुर है, जिसके डर से अंग्रेज भी कांपते हैं। मुझे पता नहीं था कि मेरा बेटा मौत से डरता है। अगर तुम्हें रोकर ही मरना था तो क्रांतिकारी क्यों बने?

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 बिस्मिल बोले, ‘‘मां, मुझे मृत्यु से जरा भी भय नहीं है। मैं तो तुम्हारे चरणों को अपने आंसुओं से धोना चाहता हूं। तुम विश्वास रखो, मातृभूमि के लिए बलिदान देने में मुझे अपार प्रसन्नता है।

फांसी के दिन मां जब बिस्मिल से मिलने जेल आई तो फूट-फूट कर रोने लगी। 

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यह देख बिस्मिल ने पूछा, ‘‘मां, क्या तू मुझे बचाने के लिए क्षमा मांगने आई है ? तू कहेगी, तो मैं क्षमा मांग लूंगा, पर तेरी आंखों में आंसू नहीं देखे जाते।

मां बोली, ‘‘मेरे लाल, मैं इसलिए थोड़े ही रो रही हूं कि आज तुझे फांसी होने वाली है। इस दिन तो मेरे दूध की शान बढ़ेगी। मुझे तो यह सोचकर रोना आ गया कि तुझे फांसी के बाद भविष्य में जब दूसरी माएं अपने बेटों को देश पर न्यौछावर करेंगी, तो फिर से न्यौछावर करने को मेरे पास मेरा पुत्र नहीं होगा।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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