Inspirational Story- काल करे सो आज कर, आज करे सो अब
punjabkesari.in Friday, Jul 09, 2021 - 10:36 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Inspirational Story- एक छोटी-सी लड़की थी उसका नाम था अन्विक्षा। बहुत प्यारी थी वह पर थोड़ी नटखट भी थी। खेलने में उसे बहुत आनंद आता था। कल्पना की दुनिया में रहती थी। मां-पापा की दुलारी थी पर उसमें एक कमी भी थी। उसको टालने की आदत थी। जब भी मां कोई काम करने को कहतीं तो वह बोलती अभी करती हूं पर उसका अभी कभी नहीं आता। मां उसे जब समझाती तो कहती, मां कल कर लूंगी और भाग जाती खेलने। उसके स्कूल में इम्तिहान आने वाले थे। मां कहती अन्विक्षा पढ़ लो तो उसका वही रटा रटाया जवाब होता कल पढ़ लूंगी। ‘‘अरे बेटा इम्तिहान सर पर हैं, तुम टालो मत जितना भी पढ़ना है चलो पढ़ो।’’ पर उसे कहां सुनना होता था।
एक दिन मां ने कहां अन्विक्षा, ‘‘जानती हो तुम्हारी नानी क्या कहती थीं।’’
अन्विक्षा बोली, ‘‘क्या?’’
मां ने कहा, ‘‘कहती थीं - काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में परलय होगी बहुरि करेगा कब।’’
पर अन्विक्षा के पास तो जैसे हर बात का जवाब होता था। बोली मां, ‘‘नानी को मालूम नहीं इसको ऐसे कहते हैं, आज करे सो काल कर काल करे सो परसो जल्दी-जल्दी क्यों करता है अभी तो जीना बरसों।’’ मां बेचारी कुछ कह नहीं पाती।
अन्विक्षा को हलवा बहुत पसंद था। एक दिन वह खेल कर आई तो मां से बोली, ‘‘मां हलवा बना दो न।’’
मां कुछ काम कर रही थी, बोली, ‘‘बेटा आज तो बहुत काम है कल बना दूंगी।’’
अन्विक्षा ने कहा ‘‘ठीक है।’’ कह कर कमरे में चली गई।
दूसरे दिन अन्विक्षा ने कहा, ‘‘मां तुमने कहा था आज बना दोगी, बना दो न।’’
मां ने फिर कहा, ‘‘ओहो बेटा मैं तो भूल गई आज मुझे बाजार जाना है, कल बना दूंगी।’’
इसी तरह से अन्विक्षा रोज हलवा बनाने को बोलती और मां कोई न कोई बहाना बना कर टाल देतीं। इस तरह 7 दिन बीत गए।
आठवीं रोज जब अन्विक्षा सो कर उठी तो देखा कि मेज पर 8 प्लेट हलवा रखा है। अन्विक्षा की खुशी का तो ठिकाना नहीं था। वह फटाफट ब्रश करके खाने बैठी।
उसने पहली प्लेट, दूसरी प्लेट बहुत मन से खाई, तीसरी भी किसी तरह खा ली परंतु चौथी को खत्म नहीं कर सकी।
मां से बोली, ‘‘अब नहीं खाया जाता।’’
मां ने कहा, ‘‘अरे, थोड़ा और खा लो। तुम को तो बहुत पसंद है।’’
‘‘नहीं मां अब नहीं खा सकती।’’ अन्विक्षा बोली।
‘‘अन्विक्षा देखो, तुम्हें यह हलवा कितना पसंद है पर तुम ज्यादा नहीं खा सकती। यदि यही हलवा एक प्लेट रोज मिलता तो तुम आराम से खा लेती क्यों है न? इसी तरह से पढ़ाई भी है, तुम एक साथ ज्यादा नहीं पढ़ सकती।’’
‘‘जब 8 दिन का हलवा पूरा एक दिन में नहीं खा सकती तो 8 दिन की पढ़ाई कैसे एक दिन में कर पाओगी इसीलिए रोज का काम रोज करना चाहिए, कल पर टालना नहीं चाहिए।’’
अन्विक्षा को यह बात समझ में आ गई। उस दिन के बाद से अन्विक्षा ने कभी बात को टाला नहीं। रोज का काम रोज करती थी। अब वह सभी की प्यारी बन गई और मां बहुत खुश थी।
शिक्षा : इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि रोज का काम रोज करना चाहिए कल पर टालना नहीं चाहिए।