छोटा सा काम दिलवाएगा अश्वमेध और अनेकों यज्ञों का पुण्य एकसाथ
punjabkesari.in Thursday, Mar 09, 2017 - 03:14 PM (IST)
वेदों में स्पष्ट लिखा है कि गौ रुद्रों की माता और वसुओं की पुत्री है। अदिति पुत्रों की बहन और घृतरूप अमृत का खजाना है। प्रत्येक ग्रंथ में यह बात दृढता के साथ लिखी गई है कि सदा निरपराध एवं अवध्य गौ माता का वध करना ऐसा पाप है, जिसका कोई प्रायश्चित्त ही नहीं है। जो पुण्य अश्वमेध या अनेक यज्ञों को करने से मिलता है, वह पुण्य मात्र गौ माता की सेवा करने से ही प्राप्त हो जाता है। गौ परिक्रमा से मिलते हैं ढेरों लाभ। तिल, जौ व गुड़ का बना लड्डू नौ गायों को खिलाने से व परिक्रमा करने से संतान प्राप्ति एवं मनोवांछित फल मिलता है। पति-पत्नी में आपसी मनमुटाव या क्लेश रहता हो तो दोनों गठजोड़े से गऊमाता की परिक्रमा करें एवं घर से रोटी बनाकर तिल के तेल से चुपड़ कर गुड़ के साथ नौ गायों को खिलाएं। घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
गर्भवती महिलाएं नौ माह में प्रत्येक अमावस्या व पूर्णिमा पर गाय माता की परिक्रमा कर लें तो सामान्य डिलीवरी से संतान होगी। प्रतिदिन भोजन करने से पहले एक रोटी व गुड़ अपने हाथ से देसी गाय को खिलाने से एवं गाय के मुंह से लेकर पूंछ तक हाथ फेर कर अपने शरीर पर हाथ फेरने से शरीर का संतुलन बना रहता है।
गाय को जौ खिलाएं और उसके गोबर में से जौ निकले, उसे धोकर खीर बना कर एक चम्मच गाय का घी डालकर गर्भवती महिलाएं अंतिम माह में खाएं। यह साधारण डिलीवरी में सहायक है। जिन बच्चों की शादी में अनावश्यक विलम्ब हो रहा हो, वे स्वयं विधिपूर्वक गाय की पूजा करके नौ रोटी व गुड़ खिलाएं जिससे मनवांछित फल प्राप्त होगा।
गाय के आगे वाले पांव पर कुमकुम, अक्षत, पुष्प, जल, दूध, गुड़ से पूजन करने से घर में सुख-शांति व मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिनके बच्चे कहने पर नहीं चलते हैं, मनमानी करते हों, ऐसे बच्चों के माता-पिता गौ माता की नौ परिक्रमा करें। बच्चे को एक बूंद गौमूत्र व गंगाजल, दूध या चाय में मिलाकर पिलाएं। बालक आज्ञाकारी होगा।
आज्ञाकारी एवं मनवांछित संतान प्राप्ति के लिए पति एवं पत्नी दोनों गर्भधारण करने के पश्चात बछिया को दूध पिलाती हुई गाय की परिक्रमा करें। गौ धूलि बेला के समय गौ माता की परिक्रमा करने से भी समस्याओं का अंत होता है।