Hemu Kalani Story:  पढ़े, उस बालक की कहानी, जो मौत से नहीं गुलामी से डरता था

punjabkesari.in Sunday, Aug 31, 2025 - 02:02 PM (IST)

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Hemu Kalani Story: आजादी पाने के लिए 1942 में अंग्रेजों के विरुद्ध भारत छोड़ो आंदोलन जोर-शोर से चल रहा था। युवकों में जोश उमड़ रहा था। 20 अक्टूबर, 1942 को सिंध सक्खर से अंग्रेजों के हथियार से भरी एक रेलगाड़ी गुजरने वाली थी। एक क्रांतिकारी युवक ने दो अन्य साथियों के साथ रेल की पटरियों की फिश-प्लेटें निकाल दीं। इतने में वहां पुलिस आ पहुंची।

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वह युवक पकड़ा गया, जबकि उसके साथी भाग निकले। अंग्रेज सरकार ऐसे क्रांतिकारियों को कड़ी सजा देती थी। उसको फांसी की सजा सुना दी गई।  फांसी के दिन वह मुंह-अंधेरे उठा, उसने गीता का पाठ किया  और फांसी के तख्ते पर  चढ़ गया।

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मैजिस्ट्रेट ने सहानुभूति के स्वर में उससे पूछा- “तुम्हारी कोई अंतिम इच्छा?” उसने जवाब दिया- “हां है, केवल एक इच्छा है मरने से पहले भारत माता की जय बोलना चाहता हूं।” फिर उसने पुकारा- “भारत माता की जय”, ‘हिंदुस्तान आजाद’, ‘इंकलाब जिंदाबाद’ और उसके बाद युवक का शरीर हवा में लटक रहा था। भारत के इस महान स्वतंत्रता सेनानी का नाम हेमू कालाणी था जिसे क्रूर अंग्रेज सरकार ने 21 जनवरी, 1943 को 19 वर्ष की अल्पायु में ही फांसी के तख्ते पर झुला दिया था।

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Content Editor

Sarita Thapa

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