Hayagriva Jayanti puja vidhi: हयग्रीव जयंती पर इस विधि से करें पूजा, मानसिक रोग और शत्रुओं के भय से मिलेगी मुक्ति
punjabkesari.in Wednesday, Aug 06, 2025 - 04:34 PM (IST)

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Hayagriva Jayanti 2025: श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को हयग्रीव जयंती पर्व मनाया जाता है। यह वही तिथि है जब भगवान हयग्रीव ने वेदों की पुनर्स्थापना की थी। भगवान हयग्रीव की पूजा करने से व्यक्ति को बल और बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है और स्मरण शक्ति भी तेज हो जाती है। इसी के साथ बता दें कि इनकी पूजा करने से व्यक्ति को किसी भी तरह का कोई भी मानसिक रोग नहीं छू सकता और शत्रुओं के भय से मुक्ति मिलती है।
Hayagriva Jayanti Worship Method हयग्रीव जयंती की पूजा विधि
हयग्रीव जयंती से पहले करें ये तैयारी
प्रातः काल स्नान कर व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। भगवान हयग्रीव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें (यदि संभव हो तो घोड़े-मुखी विष्णु रूप वाला चित्र लें)।
Hayagriva Jayanti Puja Material हयग्रीव जयंती पूजन सामग्री
चंदन, अक्षत, पुष्प, तुलसीदल, दीपक, नैवेद्य, पंचामृत, घी का दीपक, घोड़े की मूर्ति (सूक्ष्म या चित्र रूप में)
Hayagriva Jayanti Puja Vidhi हयग्रीव जयंती पूजा विधि
संकल्प करें — अपने नाम, गोत्र और व्रत के उद्देश्य के साथ।
आवाहन — “ॐ हयग्रीवाय नमः” मंत्र से आवाहन करें।
अभिषेक करें — पंचामृत से मूर्ति स्नान करें।
पुष्पार्चन करें — सफेद और पीले पुष्प अर्पित करें।
तुलसीदल चढ़ाएं — विष्णु अवतार होने के कारण तुलसी प्रिय है।
ज्ञान की कामना करें — मंत्र और ध्यान के साथ प्रार्थना करें।
आरती करें — दीप जलाकर “जय हयग्रीव स्वामी” आरती गाएं।
Jai Hayagreeva Swami Aarti जय हयग्रीव स्वामी आरती
ॐ जय हयग्रीव देवा, प्रभु जय हयग्रीव देवा।
ज्ञान-भक्ति-दाता, तुम हो देवा॥
ॐ जय...
विद्या-बुद्धि-दाता, तुम हो ज्ञान-स्वरुपा।
हरते अज्ञान तिमिर, करते ज्ञान-सुधा-वर्षा॥
ॐ जय...
हयग्रीव तुम्हारा, रूप अति पावन।
ज्ञान-दीप जलाकर, करते अज्ञान-निवारण॥
ॐ जय...
वेद-शास्त्रों के ज्ञाता, ज्ञान-सिंधु-विशाला।
विद्या-धन दे हमको, करते कृपा-उदारा॥
ॐ जय...
शरणागत-वत्सल तुम, भक्तों के स्वामी।
ज्ञान-दान देकर, करते कृपा-सुखधामी॥
ॐ जय...
जो ध्यावे तुमको प्रभु, ज्ञान-ज्योति जगती।
अज्ञान-तिमिर मिट जाता, ज्ञान-गंगा बहती॥
ॐ जय...
आरती जो गावे, प्रेम-सहित स्वामी।
ज्ञान-भक्ति-संपदा, पावे सुखधामी॥
ॐ जय...
|| इति श्री हयग्रीव आरती ||