Tuesday: अपना मंगल चाहने वाले मंगलवार को पढ़ें हनुमान जी की गाथाएं
punjabkesari.in Tuesday, Dec 21, 2021 - 12:58 PM (IST)
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Katha Hanuman Gatha: हनुमान जी का नाम आते ही हमारे सामने जो छवि आती है, वो श्री राम जी के सबसे बड़े बलशाली, ताकतवर भक्त के रूप में आती है। हनुमान जी का नाम हमारे देश भारत के सबसे बड़े महाकाव्य रामायण में सर्वप्रथम आता है। हनुमान जी को आठ अमर व्यक्तिवों में एक माना जाता है क्योंकि जब त्रेतायुग में भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ तथा अपनी धरतीलोक की लीलाओं को समाप्त कर अपने निजधाम बैकुंठ लोक जाने से पहले प्रभु श्रीराम ने जामवंत के साथ-साथ श्रीहनुमान जी को भी यह आशीर्वाद दिया कि, "हे हनुमान ! तुम कलयुग के अंत तक इसी धरती पर वास करोगे तथा राम लीलाओं के साक्ष्य बनकर सदा राम भक्तों की रक्षा व सहायता करते रहने का भार ग्रहण करोगे।
Shree hanuman gatha: माता सीता ने जब हनुमान जी को उनसे कुछ मांगने को कहा तो हनुमान जी ने कहा कि जहां-जहां पर भी श्री राम चर्चा हो वहां- वहां पर मुझे उनका नाम व चर्चा सुनने का आर्शीवाद प्रदान करें। तभी श्रीराम जी कहने लगे हे सीते, "यह तुमसे बहुगुणा शरीर सहित राम चर्चा में सम्मिलत होने का वरदान मांग रहा है।" तब माता सीता ने सहर्ष ही श्री हनुमान जी को यह वरदान प्रदान किया।
Chamatkari Hanuman Katha: श्री हनुमान शिव जी के 11 वें रूद्रावतार हैं, जो सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। माना जाता है कि हनुमान जी का जन्म श्री राम जी की सहायता करने के लिए हुआ था। हनुमान जी की ताकत और उनकी बुद्धि की अनेकों कहानियां प्रचलित हैं। कहते भी हैं कि कलयुग में कोई ईश्वर अगर इस धरती पर है, तो वो है केवल श्री राम भक्त हनुमान जी। उन्हें वायुपुत्र कहा जाता है क्योंकि उनका वेग वायु से भी तेज है और कहा जाता है की वो वायु देव के पुत्र हैं तथा एक ऋषि के श्राप के कारण ही उनका जन्म एक वानर के रूप में हुआ। हनुमान जी के भक्त बल और बुद्धि की कामना उनसे करते हैं। हनुमान जी का नाम लेते ही सभी दुख दूर हो जाते हैं। उनका नाम सुनने मात्र से ही सभी बुरी शक्तियां दूर भाग जाती हैं। कहते हैं कलयुग में सिर्फ हनुमान जी ही है, जो सशरीर विधमान हैं और जब तक श्री राम जी का नाम इस धरती पर रहेगा, तब तक श्री राम भक्त हनुमान जी भी रहेंगे।
Hanuman ji birth Story कैसे हुआ था बजरंगबली का जन्म: मान्यताओं के अनुसार सतयुग के आखिरी चरण में, चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन, चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में, सुबह 6.03 बजे भारत देश मे झारखंड के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गांव की एक गुफा में हनुमान जी का जन्म हुआ था परंतु उनके जन्म को लेकर कुछ भी निश्चित नहीं माना जाता है। ऐसा कहा जाता है क्योंकि मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाके के लोगो का कहना है की हनुमान जी का जन्म मध्यप्रदेश में हुआ। जबकि कर्नाटक के रहने वालो कि ये धारणा है कि हनुमान जी कर्नाटक में पैदा हुए थे। पम्पा ओर किष्किंधा के ध्वंसावशेष अब भी हम्पी में देखे जा सकते हैं। इस प्रकार हनुमान जी के जन्म को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं परंतु उनकी शक्ति को कोई भी नकार नहीं सकता। कहा जाता है कि जिसने हनुमान जी का नाम लिया उसने अपने जीवन में वो सब पा लिया जो वो चाहता है।
Hanuman katha हनुमान जी का नाम हनुमान कैसे पड़ा ?
हनुमान जी जब छोटे थे तो बहुत नटखट थे। बजरंग नाम उनका उनके पिता केसरी जी ने रखा था। एक बार की बात है कि हनुमान जी को बहुत भूख लग रही थी और उनकी मां अंजना उनके लिए भोजन ला ही रही थी कि उन्होंने खेल-खेल में ही सूर्य भगवान को लाल रंग का फल जैसा समझ कर उन्हें ही खाने के लिए अपने आकार को बहुत बड़ा बनाकर अपने मुंह में रख लिया। ऐसा होने से उनकी मां अंजना परेशान हो गयी। सूर्य देव को मुंह में रखने से चारों ओर अंधकार छा गया ओर इस बात की खबर जब स्वर्ग के राजा देवराज इंद्र को पता चली तो उन्हें बहुत गुस्सा आ गया। गुस्से में ही उन्होंने अपने वज्र से हनुमान जी की ठोड़ी पर प्रहार किया, जिसकी बजह से वो टूट गयी ओर हनुमान जी वही मूर्छित हो कर गिर गए। जब यह बात पवन देव को पता चली, तो उन्होंने धरती के वायु का संचार रोक दिया। समस्त संसार बिना प्राण वायु के विचलित हो उठा। तब ब्रह्मा जी ने आकर बालक मारुति को पुनःजिवित किया और वायुदेव को अनुरोध किया कि वो वायु का पुनः संचार करें। तब वायुदेव के साथ बाकि समस्त देवताओं ने उन्हें वरदान दिये। साथ ही ब्रह्मादेव सहित अन्य देवताओं ने उन्हें हनु अर्थात ठुड्डी पर चोट लगने के कारण हनुमान नाम दिया। ठोड़ी को संस्कृत में हनु कहते है और तब से बजरंग का नाम हनुमान पड़ा तथा अति प्राक्रमी व बलवान होने के कारण उनका नाम बजरंग के साथ-साथ बजरंगबली भी कहा जाने लगा।
Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)