हर संकट की अचूक काट है, बजंरगबली का ये पाठ
punjabkesari.in Tuesday, Dec 25, 2018 - 02:33 PM (IST)
ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
जब व्यक्ति सभी तरफ से संकटों और परेशानियों से घिरा होता है तो उनसे निकलने के लिए संकटमोचन हनुमान जी की साधना सबसे सहायक सिद्ध होती है। जीवन में जितना भी कठिन समय चल रहा हो संकट मोचक हनुमान अष्टक का पाठ रामबाण जैसा काम करता है। अष्ट सिद्धि और नव निधियों के दाता हनुमान जी अपनी बाल अवस्था में बहुत ही शरारती थे। उन्हें बचपन में श्राप मिला था की वह अपनी सारी शक्तियों को भूल जाएंगे, किसी दूसरे के याद करवाने पर ही उन्हें अपनी शक्तियां याद आएंगी। संकटमोचन हनुमान अष्टक के माध्यम से भक्त हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण करवाते हैं और उनसे अपनी समस्याओं को खत्म करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
अंजनी गर्भ संभूतो, वायु पुत्रो महाबल:।
कुमारो ब्रह्मचारी च हनुमान प्रसिद्धिताम्।।
मंगल-मूरति मारुत नन्दन। सकल अमंगल मूल निकन्दन।।
पवन-तनय-संतन हितकारी। हृदय विराजत अवध बिहारी।।
मातु पिता-गुरु गनपति सारद। शिव समेत शंभु शुक नारद।।
चरन बंदि बिनवों सब काहू। देव राजपद नेह निबाहू।।
बंदै राम-लखन-बैदेही। जे तुलसी के परम सनेही।।
हनुमान अष्टक का पाठ
बाल समय रवि भक्षि लियो, तब तीनहुं लोक भयो अंधियारो।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।।
देवन आनि करी विनती तब, छांंिड़ दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारौ।
चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिए कौन विचार विचारो।।
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
अंगद के संग लेन गये सिय, खोज कपीस ये बैन उचारो।
जीवत ना बचिहों हमसों, जु बिना सुधि लाये यहां पगुधारो।।
हेरि थके तट सिन्धु सबै तब, लाय सिया, सुधि प्राण उबारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
रावन त्रास दई सिय की, सब राक्षसि सों कहि शोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो।।
चाहत सीय अशोक सों आगि, सो दे प्रभु मुद्रिका शोक निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
बान लग्यो उर लछिमन के तब, प्रान तजे सुत रावन मारो।
ले गृह वैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो।।
आन संजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
रावन युद्ध अजान कियो तब, नाग की फाँस सबै सिर डारौ।
श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयौ यह संकट भारो।।
आनि खगेश तबै हनुमान जी, बन्धन काटि सो त्रास निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देविहिं पूजि भली विधि सों, बलि देहुं सबै मिलि मंत्र विचारो।।
जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
काज किये बड़ देवन के तुम, वीर महाप्रभु देखि विचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसौं नहिं जात है टारो।।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कुछ संकट होय हमारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
श्री हनुमान अष्टक दोहा
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दनव दलन, जय जय जय कपि सूर।।
अपने आलसपन को दूर भगाने के लिए करें ये टोटका(Video)