Guru Nanak Jayanti: श्री गुरु नानक देव जी के आगमन से अज्ञानता का अंधकार मिटा और ज्ञान का प्रकाश हुआ
punjabkesari.in Friday, Nov 15, 2024 - 08:46 AM (IST)
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Happy Guru Nanak Jayanti: सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी (1469 ई. से 1539 ई.) के युग में मुस्लिम शासकों की हठधर्मिता, धर्मान्धता एवं स्वेच्छाचारिता के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में अशान्ति, अन्याय तथा अत्याचार व्यापक रूप से विद्यमान था। रूढ़िग्रस्त व दिग्भ्रमित समाज में व्यवस्था, आस्था एवं सामंजस्य स्थापित करने हेतु श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी अमृतमयी बाणी द्वारा समूची मानवता का मार्गदर्शन किया।
उनकी दार्शनिक विचारधारा सामाजिकता से जुड़कर और भी पुष्ट हो गई। उन्होंने सामाजिक अन्याय को समाप्त कर आदर्श समाज की कल्पना को साकार करने हेतु सामाजिक वैषम्य, रूढ़ियों आडम्बरों तथा समस्त कुरीतियों के विरुद्ध रणभेरी बजा दी। समूची मानवता के पथ-प्रदर्शन हेतु उन्होंने चार महान धर्म-प्रचार यात्राएं कीं, जिन्हें ‘चार उदासियां’ नाम से जाना जाता है।
मानव समाज के पछड़े वर्गों के प्रति गुरु जी की करुणा, अन्य धर्मों के प्रति सहनशीलता तथा न्यायपूर्ण समाज के लिए उनके भावनात्मक समर्थन से उनकी गहन अंतर्दृष्टि तथा आत्मज्ञान के दर्शन होते हैं। गुरु जी ने हमेशा नीच एवं अछूत समझे जाने वालों को अति प्रेम से गले से लगाया और स्पष्ट किया कि ईश्वर की रहमतें तो वहीं बरसती हैं जहां निम्न, असहाय एवं गरीबों की सार-सम्भाल होती है। तभी तो सभी वर्गों एवं धर्मों के लोग श्री गुरु नानक देव जी को अपना ‘गुरु’ एवं ‘पीर’ मान कर सजदा करते हैं।
महान चिंतक भाई गुरदास जी गुरु जी के इस जगत में आने के परम उद्देश्य को बाखूबी बयान करते हैं - सतिगुरु नानकु प्रगटिआ,
मिटी धुंधु जगि चानणु होआ।
जिउ करि सूरजु निकलिआ,
तारे छपि अंधेरु पलोआ।
अर्थात् श्री गुरु नानक देव जी के आगमन से अज्ञानता का अंधकार मिट गया है और सर्वत्र ज्ञान का प्रकाश हो गया है, जैसे सूर्योदय होने पर अंधेरा छट जाता है और सर्वत्र प्रकाश हो जाता है।