Gupta Navratri 2020: मां कूष्माण्डा की पूजा से मिलेगा आठ सिद्धियों और नौ निधियों का वरदान

punjabkesari.in Thursday, Jun 25, 2020 - 07:35 AM (IST)

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Gupta Navratri maa kushmanda: नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा का आह्वान व उनकी पूजा की जाती है। इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में स्थित होता है। मां कूष्मांडा ही सृष्टि की आदि स्वरूपा और आद्यशक्ति हैं। इनका निवास सूर्य मंडल के भीतर के लोक में है। इनकी आराधना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।

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अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण भी इन्हें कूष्माण्डा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा को कुम्हड़ कहते हैं। कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी ये मां कूष्माण्डा कहलाती हैं। इनका शरीर सूर्य के समान दैदीप्यमान तथा कांतिवान है। अष्टभुजा धारी मां कूष्मांडा सिंह की सवारी करती हैं। इन्होंने अपने आठ हाथों में क्रमशः जपमाला, कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा धारण की हुई है। इनके तेज से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। इनकी कृपा से असंभव कार्य भी सहज ही संभव हो जाते हैं।

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ऐसे करें पूजा
सुबह स्नान-ध्यान आदि से निवृत्त होकर मां भगवती का आव्हान करें। उन्हें पुष्प, सुगंध, पान आदि समर्पित कर उनकी पूजा-अर्चना करें तत्पश्चात उनके निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जप कर उन्हें हलवे का भोग चढ़ाएं। आपके मन में जो भी इच्छा हो, उसे मां से पूर्ण करने की प्रार्थना करें।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां कूष्माण्डा की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इनकी उपासना से अष्टसिद्धियों तथा नवनिधियों को प्राप्त कर व्यक्ति के समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है।

आचार्य अनुपम जौली
anupamjolly@gmail.com

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Niyati Bhandari

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