वास्तु गुरु कुलदीप सलूजा: वास्तु से जानें, क्यों घोस्ट मॉल बनते जा रहे हैं शॉपिंग मॉल

punjabkesari.in Wednesday, May 15, 2024 - 03:43 PM (IST)

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Ghost malls shopping center: पिछले दशक में भारत के बड़े और मझोले शहरों में हर जगह छोटे-बड़े शॉपिंग मॉल बनाये गये। दिल्ली, मुम्बई, पुणे, बैंगलोर, कलकत्ता जैसे बड़े-बड़े शहरों में तो एरियावाइज ही कई-कई शॉपिंग मॉल बनाये गये। भारत में ज्यादातर शॉपिंग मॉल प्राइम लोकेशन पर आधुनिक सर्वसुविधायुक्त भव्य और सुंदर बनाए गये। किन्तु देखने में आ रहा है कि ऐसे कई मॉल हैं, जिन्हें बने तीन-चार वर्ष से ज्यादा समय हो गया लेकिन आज तक उनकी बहुत सी दुकानें खाली पड़ी हुई हैं और कई दुकानें शुरू तो हो गई हैं लेकिन ग्राहकों का उस मॉल के प्रति आकर्षण न होने के कारण वहां बिजनेस नहीं है। ऐसे में लगातार घाटे के चलते उन दुकानों के साइन बोर्ड एवं मालिक बदलते रहते हैं। हालत यह है कि अब तो कई मॉल के प्रमोटर्स अपने दुकानदारों के दो-दो, तीन-तीन साल के किराये भी माफ कर रहे हैं ताकि दुकानदार पहले से घाटे में चल रही दुकान के किराये के बोझ के कारण दुकान खाली न कर जायें और वह जैसे-तैसे टिके रहे और मॉल में थोड़ी चहल-पहल बनी रहे।

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रियल एस्टेट कंसलटेंसी नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसार, 40 प्रतिशत से अधिक खाली पड़े शॉपिंग मॉल्स को ‘घोस्ट मॉल’ कहा जाता है। 2023 तक भारत में ‘घोस्ट मॉल’ की संख्या 64 तक पहुंच गई। देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर इलाके में इस तरह के घोस्ट शॉपिंग मॉल की संख्या सबसे ज्यादा है। इसके बाद दूसरे नंबर पर मुंबई और तीसरे पर बेंगलुरु है। 29 शहरों में हुए सर्वे से पता चला कि 132 शॉपिंग मॉल बंद होने की दहलीज पर पहुंच गए हैं। इसके अलावा कई छोटे शॉपिंग मॉल भी बंद होने के कगार पर हैं। भविष्य में इनकी संख्या और अधिक बढ़ेगी।

रियल एस्टेट कंसलटेंसी नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसार, एक दौर था जब शॉपिंग मॉल्स को खरीदारी का बेहतर केंद्र माना जाता था। इंटरनेट के बढ़ते दायरे और बदलते कंज्यूमर विहेवियर के कारण ऐसे शॉपिंग मॉल्स का क्रेज दिनों-दिन घटता ही जा रहा है। आज ज्यादातर लोग ऑनलाइन शॉपिंग या बड़े शॉपिंग सेंटर का रुख करने लगे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह कम दाम में बेहतर सामान खरीदना और ऑफर्स का मिलना है।

इस समस्या की मुख्य जड़ उपभोक्ताओं की ऑनलाइन शॉपिंग और बेहतर अनुभव के लिए बड़े शॉपिंग सेंटर्स की तरफ रुख करना नहीं है। यदि यही कारण होता तो इंडिया के जो बाकी मॉल ठीक-ठाक चल रहे हैं, उन पर भी इसका प्रभाव पड़ता और वह मॉल भी ‘घोस्ट मॉल’ में तब्दील हो जाते लेकिन ऐसा नहीं है। जो मॉल ‘घोस्ट मॉल’ बने हैं उसका एकमात्र कारण है उन शापिंग मॉल की बनावट में वास्तुदोषों का होना।

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जैसा कि हम जानते हैं भारत में जनसंख्या के अनुपात में जमीन कम है। इस कारण देश में जमीन की कीमतें बेतहाशा बढ़ चुकी हैं। भारत में ज्यादातर मॉल शहर की प्राइम लोकेशन पर बनाऐ गये हैं जहां पार्किंग एक गंभीर समस्या होती है। इस कारण एक ओर शासन ने मॉल की पार्किंग के लिए निश्चित स्थान छोड़ने का नियम बना दिया है, वहीं दूसरी ओर जमीन ज्यादा महंगी होने के कारण बेसमेंट बनाना सस्ता पड़ता है। इसीलिए हमारे यहां दो-दो, तीन-तीन फ्लोर के बेसमेंट कार पार्किंग के लिए बने हैं और कई जगह बेसमेंट में दुकानें भी बनाई गई हैं। ध्यान रहे बेसमेंट यदि वास्तु सिद्धान्त के अनुसार बना हो तो वह शत-प्रतिशत सफलता दिलाता है और यदि बेसमेंट गलत बन जाये तो वहां असफलता मिलना भी निश्चित है। देखने में आया है कि ज्यादातर शॉपिंग मॉल में बेसमेंट ही गलत बने हैं। बेसमेंट के अलावा मॉल में बनने वाले अण्डरग्राउण्ड टैंक, फायर टैंक, वाटर रिसाइकलिंग प्लांट इत्यादि के गड्ढे भी वास्तु सिद्धान्तों का ज्ञान नहीं होने के कारण आर्किटेक्ट अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी दिशा में बनवा देते हैं जो कि ज्यादातर गलत ही बनते हैं। इसी कारण शॉपिंग मॉल घाटे में चलते-चलते एक दिन बंद होने की कगार पर आ जाते हैं।

वह शॉपिंग मॉल जिसमें बेसमेंट बने हुए हैं, उन मॉल की दक्षिण, पश्चिम दिशा और नैऋत्य कोण वाली दुकानें तो ठीक-ठाक चलती हैं, लेकिन उनकी उत्तर, पूर्व दिशा और ईशान कोण की दुकानें कम चलने के कारण खाली होती रहती हैं। जिन मॉल में बेसमेंट नहीं होता है उन मॉल की उत्तर और पूर्व दिशा की दुकानें तो ठीक चलती हैं लेकिन दक्षिण और पश्चिम दिशा की दुकानें ठीक नहीं चलती।

यह तय है कि यदि किसी भी मॉल को वास्तु सिद्धान्तों के अनुसार बनाया जाए तो उस मॉल में चहल-पहल के कारण रौनक बनी रहेगी और मॉल की दुकानों में ग्राहकी भी अच्छी होगी और ऐसा शॉपिंग मॉल कभी भी ‘घोस्ट मॉल’ की श्रेणी में नहीं आयेगा।

वास्तु गुरु कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com

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Content Writer

Niyati Bhandari

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