Gayatri Jayanti 2021: ये है दुनिया का सर्वप्रथम गायत्री मंदिर!

punjabkesari.in Saturday, Aug 21, 2021 - 12:43 PM (IST)

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22 अगस्त श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन के साथ-साथ सनातन धर्म के कई महत्वपूर्ण पर्व पड़ रहे हैं। इन विशेष त्योहारों में गायत्री जयन्ती, यजुर्वेद उपाकर्म, नारली पूर्णिमा, हयग्रीव जयन्ती, संस्कृत दिवस, श्रावण पूर्णिमा व्रत, श्रावण पूर्णिमा आदि नाम शामिल हैं। बात की जाए गायत्री जयंती की तो धर्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक वर्ष गायत्री जयंती ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। शास्त्रों में किए इससे जुड़े वर्णन के अनुसार गायत्री जयंती पर्व माता गायत्री के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। जिस दिन देवी गायत्री की विशेष आराधना की जाती है। तो आइए इसी खास अवसर पर जानते हैं वेद माता कहलाने वाली गायत्री माता के एक प्राचीन मंदिर के बारे में जो वर्तमान समय में मथुरा में स्थित है।  

भारत देश में हिंदू देवी-देवताओं के मंदिरों में भरमार देखने को मिलती है। इन्हीं में से एक मंदिर है गायत्री माता से जुड़ा जो उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित है। लोक मत है कि ये मंदिर विश्व का सर्वप्रथम गायत्री मंदिर है, जो संपूर्ण रूप से गायत्री माता को समर्पित है। 

बताया जाता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण व स्थापना सन्यासी श्री वेदमूर्ति पंडित श्री राम शर्मा आचार्य द्वारा सन् 1953 में की थी। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार मंदिर की स्थापना के समय इसी स्थान पर अनेक साधकों द्वारा 24 लाख बार गायत्री मंत्र का जप, सवा लाख बार गायत्री चालीसा का पाठ, यजुर्वेद, गीता का पाठ, रामाणय का पाठ, गायत्री सहस्त्रनाम, गायत्री कवच, दुर्गा सप्तशती का पाठ, महामृत्युजंय का जप आदि कार्यों का संपादन किया था। कहा जाता है इन्होंने मंदिर में 30 मई 1953 से 22 जून 1953 तक, केवल पावन गंगाजल का सेवन करके लगातार 24 दिनों तक उपवास किया था। जिस कारण इस मंदिर को बेहद खास व पावन माना जाता है। 

मंदिर में एक यज्ञ शाला है, जिसमें हिमालय के सिद्ध योगी द्वारा एक अखंड ज्योति है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह ज्योति लगभग 750 वर्ष पुरानी है। इसके अलावा इस प्राचीन मंदिर में भारत के 2400 तीर्थ स्थलों का पावन जल के साथ और हाथों से 24 करोड़ बार किए गायत्री मंत्र लिखा गया है। मंदिर में एक युग निर्माण विद्यालय है जो कि 1966 से सक्रिय है, यह बच्चों को आत्मनिर्भर शिक्षा देता है। इस विद्यालय में बच्चों के रहने की व्यवस्था भी है, जो इस स्कूल में 10 वीं कक्षा पास करने वाले छात्रों को एक वर्ष का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। यहां आने वाले लोगों के अनुसार इस प्राचीन मंदिर का वातावरण अत्यंत सुंदर है, जो मन को शांति प्रदान करता है।


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Content Writer

Jyoti

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