गणपती विसर्जन: करें कुछ खास ताकि धन-दौलत कभी न छोड़े आपका साथ

punjabkesari.in Tuesday, Sep 05, 2017 - 07:30 AM (IST)

मंगलवार दि॰ 05.09.17 को भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन व अनंत चतुर्दशी पर्व मनाया जाएगा। सत्यनारायण स्वरूप में महाविष्णु ही अनंत रूप हैं, इसी कारण इस दिन सत्यनारायण व अनंत देव का पूजन किया जाता है। गणेश विसर्जन का अध्‍यात्‍मिक व वज्ञानिक महत्व भी है। गणेश स्‍थापना व गणेश वि‍सर्जन से प्रकृति हमे ये ज्ञान देती है कि संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है। हर जीव को कभी न कभी पंचतत्व में विलीन होना है। इसी कारण स्वयं शिव-शक्ति सुत गणेश को भी एक समय उपरांत प्रकृति‍ में विलीन कर दिया जाता है। विसर्जन का अर्थ है पुनः प्रकृति में मिलना, इसी कारण गणेश चतुर्थी पर स्थापित गणपती को उनकी माता गौरी के पास पुनः भेजा जाता है। अत: विराजित गणेश प्रतिमा को किसी जल स्रोत में विसर्जित किया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो वर्षा उपरांत जल स्रोतों में इक्कठा हुआ जल चिकनी मिट्टी से बनी व हल्दी आलता, सिंदूर व रोली से रंगी गणपती कि मूर्ति के विसर्जन से शुद्ध होता है। जि‍ससे जलचरों कि परेशानी कम होती है।


कैसे करें खास: गणेश जी कि विधिवत पूजा करें। गणेश जी कि दूर्वा से पूजा करें। चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर गंगा जल से पवित्र करें। सफ़ेद कपड़े पर गुलाब के पुष्प व अक्षत बिछाएं तथा चारो कोनो पर चार साबुत सुपारी रखें। दीप धूप, पुष्प गंध और लड्डू का भोग लगाकर पूजा करें। लाल चंदन, लौंग, कपूर व बाती से आरती करें। इसके बाद कुछ विशेष सामाग्री चढ़ाएं, जिसका विसर्जन न करें तथा पूरे साल भर इन वस्तुओं को संभाल कर रखें। 


गणेशजी को लाल कपड़े में नारियल बांधकर अर्पित करें तथा थोड़े समय बाद उसे निकालकर अलग रख लें। इससे आने वाले साल में हर मुसीबत और संकट से छुटकारा मिलेगा।


12 सिक्के गणेशजी को अर्पित करें तथा अर्पित किया हुए सिक्के अलग रख लें। विसर्जन के बाद इसे पीले कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें। इससे पैसों कि कमी दूर होगी। 


गणेश जी पर सतनाजा (सात अनाज) चढ़ाकर अलग रख लें। विसर्जन के बाद इसे हरे कपड़े में बांधकर किचन में रखें। इससे खाने पीने कि चीजों कि कमी नहीं रहेगी।


गणेश जी पर मौली में दुर्वा बांधकर उनके मस्तक पर मुकुट बांधें तथा थोड़े समय बाद उसे निकालकर अलग रख लें। इससे जीवन क्‍लेश मुक्त बनेगा । 


केसर रोली और हल्दी से रंगे अक्षत चढ़ाएं तथा थोड़े समय बाद उसे निकालकर अलग रख लें। इससे आने वाले साल में हर मनोकामना पूरी होगी।


गणेश जी को मोदक का भोग लगाकर अलग रख लें तथा इसे विसर्जन के बाद प्रसाद रूप में ग्रहण करें इससे जीवन में प्रसन्नता बढ़ती है।


साबुत सुपारी दूध से धोकर गणेश जी पर चढ़ाएं तथा थोड़े समय बाद उसे निकालकर अलग रख लें। इससे बुद्धिबल में वृद्धि होगी। 


गौघृत में सिंदूर मिलाकर गणेश जी को अर्पित करें तथा अर्पित किया हुआ मिश्रण हटाकर अलग रख लें। इससे तेज व पराक्रम बढ़ेगा। 


इलायची, लौंग का तांबूल गणेश जी को अर्पित करें तथा अर्पित किया हुआ तांबूल अलग रख लें। इससे आचार-विचार शुद्ध होते हैं।


गणेशजी को शमीपत्र चढ़ाएं व थोड़े समय बाद उसे अलग रख लें। इससे धनवृद्धि होती है।


इसके बाद उनके आगे हाथ जोड़े और भजन, कीर्तन गाते हुए विसर्जन हेतु प्रस्‍थान करें। अब ढोल नगाड़ो की आवाज के साथ गजानंद का जयघोष करते हुए उन्हें विसर्जित करने की जगह पर लेकर जाये। पवित्र जल स्रोत में गणेश जी का विसर्जन करें। परंतु भूल से भी गणेश जी की पीठ के दर्शन नहीं करे। अन्यथा दरिद्रता का वास आपके साथ होगा। विसर्जन करते समय मन ही मन गणेश जी के मंत्रो का जाप करें। यदि उनकी सेवा में कोई भूल हुई हो तो उसके लिए क्षमा मांगे। अगले साल फिर से अपने घर में आने का न्यौता दे। गणेश जी की प्रतिमा को पूरी श्रद्धा और सम्मान से पानी में विसर्जित करें।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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