Ganga Dussehra: गंगा दशहरा पर बनेंगे दुर्लभ योग, ये उपाय करेंगे आपको दुनिया के अमीर लोगों की सूची में शामिल
punjabkesari.in Saturday, May 31, 2025 - 06:42 AM (IST)

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Astro Remedies on Ganga Dussehra: हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा का जन्मोत्सव गंगा दशहरा के रुप में मनाया जाता है। गंगा दशहरा के दिन शुभ कर्म करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस साल 2025 में कुछ दुर्लभ योग बनने जा रहे हैं। इस दौरान कुछ उपाय करने से पाप नष्ट होंगे और आत्मा को मिलेगी शुद्धि।
Ganga Dussehra: गंगा दशहरा के दिन देवी गंगा धरती पर आई थी। माना जाता है की इसी दिन गायत्री मंत्र का प्रकटीकरण भी हुआ था। इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मां गंगा की गोद में जाकर पवित्र नदी में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है। वैसे तो गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्व है लेकिन गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने से मनुष्य सभी दुखों से मुक्ति पा जाता है।
Ganga Dussehra Date गंगा दशहरा तिथि
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 4 जून बुधवार 2025 की रात 11: 54 मिनट पर होगी और समापन 5 जून गुरुवार की रात 02:16 मिनट पर होगा।
Ganga Dussehra snan Muhurat 2025 गंगा दशहरा स्नान मुहूर्त 2025
गंगा दशहरा के दिन स्नान करने का ब्रह्म मुहूर्त 05 जून की सुबह 04: 02 मिनट से लेकर सुबह 04:42 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन रवि योग और सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग भी बनेगा। 5 जून की सुबह 9:14 तक सिद्धि योग रहेगा। प्रात: 4:02 से 4:42 तक ब्रह्म मुहूर्त, दोपहर 2:30 से 3:22 तक विजय मुहूर्त और रात 11:59 से 12:40 तक निशिता मुहूर्त रहने वाला है।
Ganga Dussehra Par Kare Ye Upay गंगा दशहरा पर करें ये उपाय
गंगा नदी में स्नान करने से दस पापों का हरण होता है, अंत में मुक्ति मिलती है।
दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन दान में सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दोगुना फल प्राप्त होता है।
गंगा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।
गंगा दशहरा के दिन 10 का अंक शुभ माना जाता है। 10 दीपक जलाएं और 10 वस्तुओं का दान करें।
गंगा जल को घर में छिड़कने से हर तरह के वास्तु दोषों से छुटकारा मिल सकता है।
गंगा, शिव, ब्रह्मा, सूर्य देवता, भागीरथी तथा हिमालय की प्रतिमा बनाकर दूध, बताशा, जल, रोली, नारियल, धूप, दीप से पूजन करके दान करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
गंगा स्नान, अन्न-वस्त्रादि का दान, जप-तप, उपासना और उपवास किया जाता है। इससे दस प्रकार के पापों से छुटकारा मिलता है।