महाराष्ट्र के वसई में गणपति है भक्तों की आस्था का केंद्र
punjabkesari.in Saturday, Sep 11, 2021 - 03:25 PM (IST)
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गणेश उत्सव के दौरान 10 दिनों तक गणपति बप्पा की पूरे जोरों-शोरों से पूजा की जाती है। जहां एक तरफ लोग बप्पा को अपने घर में लाते हैं, तो वहीं लोग देश भर में स्थित भगवान गणेश के प्राचीन मंदिरों में जाते हैं और बप्पा का आशीर्वाद पाते है। कहा जाता है गणेश उत्सव विशेष रूप से महाराष्ट्र का त्योहार माना जाता है। जिस कारण इन 10 दिनों में पूरे महाराष्ट्र में तथा यहां पर स्थित गणेश मंदिरों की रौनक देखते ही बनती है। तो वहीं यहां गणेश उत्सव को दौरान धार्मिक यात्रा भी की जाती है।
हालांकि कोरोना के चलते इस बार ये यात्रा नहीं निकाली जाएगी, ऐसी बातें सामने आई हैं। इस धार्मिक यात्रा के इतिहास की बात करें वसई के बिना इसका इतिहास अधूरा माना जाता है। कहा जाता है कि महाराष्ट्र के प्राचीन मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र बने हुए हैं। तो वहीं वसई तालुका में भगवान गणेश के मंदिरों की बात करें तो यहां अनेकों गणपति मंदिर हैं, जो लगभग 250 साल से भी अधिक प्राचीन हैं। इन्हीं में से सबसे प्रसिद्ध माना जाता है फडके गणपति मंदिर जो वसई (पश्चिम) के पारनाका के पास है स्थित है, जिसे वर्तमान समय में लोग सिद्धि विनायक मंदिर के नाम से जाना जाता है।
वसई के इतिहासकर के अनुसार 1740 में नरवीर चिमाजी पेशवा के सरदारों ने वसई किले पर जीत हासिल की थी, उसे वक्त पेशवा के सरदारों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। लगभग 250 साल से भी अधिक प्राचीन इस मंदिर में आज भी लोगों को हुजूम उमड़ता है तथा श्रद्धालु यहां विराजमान श्री गणेश भगवान से अपनी कामनाओं की पूर्ति करने के लिए श्रद्धापूर्वक पूजा आदि करते हैं। किंवदंतियों के अनुसार, वसई किले पर जीत के बाद सरदारों ने किले में शंकर भगवान का मंदिर बनवाया जो आज के समय में भक्तों के लिए गणपति मंदिर के रूप में आकर्षक का केंद्र बना हुआ है। कहा जाता है अब ये मंदिर महा गणपति मंदिर के नाम से जाना जाता है।
इसी तरह, 1740 में वसई डिपो में भी एक गणपति मंदिर का निर्माण किया गया था। जो आज के समय में डिपो गणपति मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। बताया जाता है इन मंदिरों में गणेश भक्तों की कतारें हमेशा लगी दिखाई देती है।