Ganesh Jayanti: समृद्धि में वृद्धि के लिए गणेश जयंती पर करें ये काम
punjabkesari.in Saturday, Feb 01, 2025 - 01:11 AM (IST)
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Maghi Ganesh Jayanti 2025: गणेश जयंती जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह त्योहार हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है और खासतौर पर महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर भारत और दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन भगवान गणेश की पूजा करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का एक खास मौका होता है। गणेश जयंती के बारे में कुछ खास बातें जो आम तौर पर कम ही लोग जानते हैं:
गणेश जयंती का महत्व:
गणेश जयंती का आयोजन विशेष रूप से उन कार्यों में सफलता प्राप्त करने, विघ्नों से मुक्त होने और जीवन में समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। मान्यता के अनुसार भगवान गणेश का जन्म चतुर्थी तिथि को हुआ था और इस दिन उनकी पूजा से हर प्रकार के विघ्न (बाधाएं) दूर होते हैं। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि गणेश जी को व्रत, पूजा और भक्ति से विशेष प्रेम है और वह अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं।
गणेश जयंती पर क्या करें:
गणेश जयंती पर विशेष रूप से निम्नलिखित कार्यों को ध्यान में रखना चाहिए:
प्राकृतिक और शुद्ध मूर्ति का चयन: गणेश जयंती के दिन भगवान गणेश की पूजा में उनके चित्र या मूर्ति का खास महत्व है। हालांकि अक्सर लोग घर में प्लास्टिक या मिट्टी की मूर्तियां रखते हैं लेकिन खासतौर पर इस दिन घर के पास या पूजा स्थल पर प्राकृतिक और स्थायी सामग्री से बनी गणेश की मूर्ति रखना शुभ माना जाता है। जैसे कि लकड़ी, धातु या मिट्टी की मूर्तियां, जिनमें पर्यावरण का ध्यान रखा गया हो।
घर की सफाई और स्थान की शुद्धि: गणेश जी की पूजा से पहले घर की सफाई और पूजा स्थल की शुद्धि का ध्यान रखें। ऐसा माना जाता है कि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए सफाई से वातावरण शुद्ध होता है। घर की कोनों में भी अगर कोई अव्यवस्था हो तो उसे दूर करना चाहिए।
गणेश चालीसा और मन्त्र: गणेश जयंती के दिन गणेश चालीसा का पाठ करें और भगवान गणेश के 108 नामों का जाप करें। इससे मन की शांति मिलती है और संकटों का निवारण होता है। साथ ही, "ॐ गं गणपतये नमः" मन्त्र का जाप भी विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
गणेश जयंती के दिन विशेष प्रसाद: गणेश जयंती के दिन लड्डू भगवान गणेश को प्रिय हैं और इसे प्रसाद के रूप में चढ़ाना शुभ होता है। लेकिन इसके अलावा खासतौर पर कोल्हापुरी श्रीखंड (जो ताजे दही से बनता है) और तुअर दाल की खिचड़ी जैसे पारंपरिक पकवान भी तैयार किए जाते हैं। यह पारंपरिक पकवान भगवान गणेश को चढ़ाने से उनका आशीर्वाद मिलता है।
व्रत और उपवासी रहना: गणेश जयंती पर कुछ भक्त उपवासी रहते हैं और पूरे दिन उपवासी रहकर केवल फलाहार करते हैं। उपवासी रहने से शरीर और मन की शुद्धि होती है और भक्त गणेश जी के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सकते हैं।
गणेश पूजन में ध्यान: पूजा करते वक्त ध्यान रखें कि भगवान गणेश की पूजा बिना किसी अति-उत्साह के, एक शांतिपूर्ण वातावरण में की जाए। विशेष रूप से ध्यान रहे कि किसी भी प्रकार की आपत्ति या नकारात्मकता पूजा स्थल पर न हो। मूर्ति का अभिषेक और स्नान कराकर उन्हें शुद्ध पानी से धोने के बाद उनके साथ संवाद करें—"हे गणेश! आप मेरे जीवन से सभी विघ्नों को दूर करें और मेरी समृद्धि में वृद्धि करें।"
गणेश के मंत्र का दीपमालिका से जाप: विशेष रूप से गणेश जयंती की रात को दीपमालिका जलाकर "ॐ श्री गणेशाय नमः" का जाप करते हुए अपने घर के कोनों में दीपक रखें। यह भी माना जाता है कि इस दिन दीपमालिका से किया गया जाप घर में सुख, समृद्धि और शांति लाता है।
गणेश जयंती पूजा विधि:
मूर्ति का प्रतिष्ठान: सबसे पहले भगवान गणेश की मूर्ति को पूजन स्थल पर रखें। ध्यान रखें कि मूर्ति का मुख उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
स्नान और आभूषण: भगवान गणेश को स्नान कराकर उन्हें ताजे कपड़े पहनाएं। उनको गुलाब के फूल, चंदन, अक्षत (चिढ़ा हुआ चावल) नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें।
मन्त्र उच्चारण: "ॐ गं गणपतये नमः" का जाप करें और गणेश चालीसा का पाठ करें।
प्रसाद वितरण: पूजा के बाद भगवान गणेश को लड्डू और अन्य पसंदीदा पकवान अर्पित करें और प्रसाद को घरवालों और मित्रों में वितरित करें।