Ganesh Jayanti: गणेश जयंती की पूजा में वास्तु शास्त्र का करें पालन, घर के वातावरण में बनी रहेगी शांति और सुख
punjabkesari.in Saturday, Feb 01, 2025 - 01:10 AM (IST)
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Ganesh Jayanti 2025 Vastu Tips: गणेश जयंती की पूजा में वास्तु के ये सरल और प्रभावी नियम आपके घर और पूजा स्थल में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ा सकते हैं। इन नियमों का पालन करके आप न केवल भगवान गणेश के आशीर्वाद से समृद्धि पा सकते हैं, बल्कि घर के वातावरण में शांति और सुख भी ला सकते हैं। गणेश जयंती की पूजा में वास्तु शास्त्र का पालन करना न केवल आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है, बल्कि पूजा की सफलता और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है। यहां कुछ खास वास्तु नियम दिए गए हैं, जो खासतौर पर गणेश पूजा के लिए उपयुक्त हैं:
गणेश जयंती पूजा स्थान का चयन:
उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण): वास्तु के अनुसार पूजा स्थल को हमेशा घर के उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा में बनाना चाहिए। यह दिशा सबसे शुभ मानी जाती है क्योंकि यह ऊर्जा के सबसे पवित्र स्त्रोत के रूप में कार्य करती है और भगवान गणेश की पूजा के लिए सर्वोत्तम होती है। यदि यह दिशा उपयुक्त नहीं है, तो पूर्व दिशा का चयन भी कर सकते हैं।
साफ और व्यवस्थित स्थान: पूजा स्थल को हमेशा साफ और व्यवस्थित रखें। किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या गंदगी को पूजा से पहले हटाना चाहिए। यदि आपके घर में कोई ऐसा कोना है, जो बंद और अंधेरा रहता है तो इसे पूजा के लिए न चुनें।
गणेश मूर्ति की स्थिति:
मूर्ति का मुख उत्तर या पूर्व की ओर रखें: गणेश जी की मूर्ति का मुख हमेशा उत्तर या पूर्व की दिशा में होना चाहिए। यह दिशा समृद्धि, ज्ञान और सफलता का प्रतीक मानी जाती है।
मूर्ति की ऊंचाई: भगवान गणेश की मूर्ति को सीधी आंखों की ऊंचाई पर रखना चाहिए। न तो बहुत ऊंचा और न ही बहुत नीचे। इससे पूजा करते समय मन की एकाग्रता बनी रहती है और यह मूर्ति का सम्मान भी होता है।
मूर्ति के आस-पास खाली स्थान रखें: गणेश जी की मूर्ति के आस-पास किसी अन्य मूर्ति या वस्तु का जमावड़ा नहीं होना चाहिए। यह वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा स्थल की ऊर्जा को फैलने से रोकता है। गणेश की मूर्ति के चारों ओर खुले स्थान रखें ताकि ऊर्जा का प्रवाह सही दिशा में हो।
दीपक और अगरबत्ती की स्थिति:
दीपक का स्थान: पूजा के दौरान दीपक को हमेशा गणेश जी की मूर्ति के सामने रखें और इस बात का ध्यान रखें कि दीपक की लौ सीधे मूर्ति की ओर जलती रहे। यह शांति और सकारात्मकता का प्रतीक है।
अगरबत्ती: अगरबत्तियां या धूप को पूजा स्थल पर आग्नेय दिशा (दक्षिण-पश्चिम) में रखें, ताकि समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह घर के सभी हिस्सों में हो सके।
गणेश पूजा विधि और स्थल से जुड़ी वास्तु टिप्स:
पानी की आवक और निकासी: गणेश पूजा करते समय ध्यान रखें कि घर में पानी की आवक (पानी की सप्लाई) उत्तर दिशा से हो और पानी की निकासी दक्षिण दिशा से हो। यह वास्तु के अनुसार घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाता है।
आधिकारिक स्थान: पूजा स्थान पर किसी प्रकार के कार्य संबंधित सामान जैसे- फाइल्स, लैपटॉप या ऑफिस के सामान रखने से बचें। पूजा का स्थान हमेशा पवित्र और आध्यात्मिक होना चाहिए।
सप्ताहिक व्रत का प्रभाव: यदि आप गणेश जयंती के दिन विशेष पूजा कर रहे हैं, तो साथ ही सप्ताह के सात दिनों में एक दिन गणेश व्रत रखें। यह विशेष रूप से घर के दक्षिण दिशा में सकारात्मक ऊर्जा लाने का एक साधन है।
नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए वास्तु उपाय:
कोनों की सफाई: घर के सभी कोनों को साफ और व्यवस्थित रखें क्योंकि वास्तु के अनुसार कोनों में जमा हुई गंदगी नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बन सकती है। खासतौर पर पूजा स्थल के पास किसी भी प्रकार की अव्यवस्था को दूर रखें।
ध्वनि और हलचल: पूजा स्थल के पास कभी भी अत्यधिक ध्वनि या हलचल नहीं होनी चाहिए। इस दिन के लिए शांत वातावरण महत्वपूर्ण है, जिससे पूजा के दौरान ध्यान और एकाग्रता बनी रहे।
मूलांक और गणेश पूजा:
मूलांक (Birth Number): वास्तु शास्त्र में प्रत्येक व्यक्ति का एक मूलांक होता है जो उनकी जन्म तिथि पर आधारित होता है। गणेश जयंती पर विशेष रूप से ध्यान दें कि गणेश जी की पूजा उस मूलांक के अनुकूल हो। उदाहरण के लिए, यदि आपका मूलांक 3 है, तो गणेश जी के 3 स्वरूपों की पूजा करना शुभ होगा।
अक्षत (चिढ़ा चावल):
अक्षत का प्रयोग: अक्षत (चिढ़े हुए चावल) को पूजा में प्रमुख रूप से उपयोग करें। यह वास्तु के अनुसार शुभता और समृद्धि का प्रतीक है। चावल के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है और यह सकारात्मकता के मार्ग में रुकावट डाल सकता है।