Ganesh Chaturthi: जानें, कब से हुआ गणेश उत्सव मनाने का आरंभ

punjabkesari.in Thursday, Aug 31, 2023 - 10:27 AM (IST)

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Ganesh Utsav: सृष्टि निर्माण के समय ब्रह्मा जी के समक्ष जब सब बाधाएं उत्पन्न होने लगीं तो उन्होंने गणेश जी की स्तुति कर सृष्टि निर्माण र्निवघ्न संपन्न होने का वर मांगा। उस दिन भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी।

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गणेश जी ने अभीष्ट वर प्रदान किया, तब से इसी दिन से गणेश उत्सव मनाया जाता है। इसी दिन जब गणेश जी पृथ्वी लोक पर आ रहे थे, तब चंद्रमा ने गणेश जी का उपहास उड़ाया। तब गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया कि आज के दिन जो भी तुम्हें देखेगा वह मिथ्या कलंक का भागी होगा।
 
चंद्रमा लज्जित हुए, तब ब्रह्माजी तथा देवताओं की प्रार्थना पर चन्द्रमा को क्षमा करते हुए श्री गणेश ने कहा जो शुक्ल पक्ष की द्वितीया के चंद्र दर्शन करके चतुर्थी को मेरा विधिवत पूजन करेगा, उसे चंद्र दर्शन का दोष नहीं लगेगा।

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ब्रह्मवैवर्त पुराण, स्कन्द पुराण तथा शिव पुराण में भगवान श्री गणेश का पावन चरित्र प्राप्त होता है। प्रत्येक कार्य का आरंभ बुद्धि के अधिष्ठाता श्री गणेश जी के स्मरण वन्दन से होता है। पृथ्वी की परिक्रमा के समय गणेश जी ने पिता शंकर जी व माता पार्वती जी की परिक्रमा कर पृथ्वी की परिक्रमा पूर्ण की। इससे प्रसन्न होकर गणेश जी को प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता गणपति होने का वरदान प्राप्त हुआ।

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वे अग्रपूज्य, गणों के ईश तथा स्वस्तिक रूप हैं। सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र तथा गजानन- इन 12 नामों को विद्यारम्भ काल में, विवाहकाल में, प्रवेशकाल में, निर्गम काल में (यात्रा के समय), संग्राम के समय और संकट के समय जो पढ़े अथवा सुने भी, उसे कोई विध्न नहीं होता।

 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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