Food Rules: शास्त्रों के अनुसार किया गया भोजन बनाता है अंदर से Strong

punjabkesari.in Saturday, Sep 23, 2023 - 08:11 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Tips for healthy eating: भोजन ग्रहण करने से पूर्व प्रभु की भांति पृथ्वी, आकाश, वायु, जल व अग्नि, इन पांच तत्वों का स्मरण किया जाता है। अन्न का अनादर कभी भी न करें। नित्य पूजित अन्न, बल व तेज की वृद्धि करता है, किन्तु खाया हुआ वही अपूजित अन्न दोनों का नाश करता है।

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भारतीय संस्कृति में भोजन करते समय कुछ नियमों का पालन किया जाता है। ये नियम कोरे अक्षर नहीं, अपितु इनसे वैज्ञानिकता सिद्ध होती है। कभी भी सिर ढककर भोजन न करें। स्वच्छ वस्त्र पहनें व दुष्टों के सम्मुख भोजन न करें। जूता, चप्पल पहनकर भोजन न करें। ग्रास भली प्रकार चबा कर निगलना चाहिए।

चारपाई या खाट पर बैठकर भोजन न करें। यह विधान इसलिए बनाया गया है क्योंकि शिशु प्राय: बिस्तर पर मल-मूत्र का त्याग कर देते हैं। यथाशक्ति सफाई रखने पर भी वे कीटाणु नहीं मरते। अगर उसी पर भोजन किया जाए तो यह रोगों को खुला आमंत्रण है। प्रतिदिन आचमन करके स्वस्थ चित्त से भोजन करें, भोजन करके भली-भांति कुल्ला करें।

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अपनी जूठन न किसी को दें और न ही किसी का जूठा खाएं। दिन में एक बार भोजन पर संध्या से पूर्व दूसरी बार भोजन ग्रहण न करें। भोजन को सम्मान की दृष्टि से देखें व प्रसन्नतापूर्वक भोजन करें तथा उसे देख कर उसका अभिनंदन कर हर्ष प्रकट करें।
अधिक मात्रा में भोजन करने से रजोगुण व तमोगुण वृत्तियां उत्पन्न होती हैं। भोजन को तब तक भली प्रकार चबाएं, जब तक उसमें रस शेष हो। शास्त्रों के अनुसार आधा पेट अन्न से, चौथाई भाग पानी से भरें और शेष चौथाई भाग को प्राण वायु संचार के लिए खाली रहने दें। 

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Content Writer

Niyati Bhandari

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