शुद्धता नहीं तो कुछ नहीं : मिलावटखोरी के विरुद्ध फैले जागरूकता

punjabkesari.in Friday, Jun 06, 2025 - 07:16 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Awareness on Food Adulteration: भारतीय संस्कृति में अन्न को ‘अन्नदेवता’ कहा गया है। यह केवल पेट भरने का माध्यम नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा को पोषण देने वाला अमूल्य वरदान है, परंतु दुखद वास्तविकता है कि आज अन्न के नाम पर जो कुछ परोसा जा रहा है, उसमें शुद्धता की जगह मिलावट ने ले ली है। यह मिलावट न केवल स्वास्थ्य के लिए घातक है, बल्कि नैतिकता, उद्यमिता और मानवता की भी सीधी हत्या है। आज दूध से लेकर मसालों तक, घी से लेकर तेल तक, मिठाइयों से लेकर अनाज तक, लगभग हर खाद्य वस्तु में मिलावट का जहर घुला हुआ है। यह मिलावट किसी एक व्यापारी या किसी विशेष क्षेत्र तक सीमित नहीं रही, यह अब एक ‘सिस्टेमैटिक पाप’ बन चुकी है, जो जान-बूझ कर किया जा रहा है। कभी मुनाफा बढ़ाने के लिए, तो कभी प्रतिस्पर्धा में दूसरों से आगे निकलने के लोभ में।

Adulteration

सरकारी नियम-कायदे और उनकी हकीकत
भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए एफ.एस.एस.ए.आई. (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) नाम की संस्था कार्यरत है। संस्था यह सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई थी कि जो भी खाद्य सामग्री उपभोक्ताओं तक पहुंचे, वह मानकों के अनुरूप और सुरक्षित हो।
इसके लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 लागू किया गया, जिसमें उत्पादन, भंडारण, पैकेजिंग और बिक्री तक की हर प्रक्रिया के लिए नियम तय हैं, परंतु वास्तविकता यह है कि नियम तो हैं, लेकिन उनका पालन करने की न नीयत है और न ही जिम्मेदारी।
हजारों नकली ब्रांड्स बिना लाइसैंस के खुलेआम बाजार में बिक रहे हैं। बड़े-बड़े ब्रांड्स तक पर एफ.एस.एस.ए.आई. के नियमों की धज्जियां उड़ाने के आरोप लग चुके हैं और जब तक निरीक्षण की प्रक्रिया भ्रष्टाचार से ग्रस्त रहेगी, तब तक नियम किताबों तक ही सीमित रहेंगे।

Adulteration

क्या करें हम उपभोक्ता, उद्यमी और राष्ट्रभक्त?
इस चौराहे पर सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या केवल सरकार पर निर्भर रहना ही उपाय है?
उत्तर है : नहीं। हमें एक त्रिस्तरीय युद्ध छेड़ना होगा-

Adulteration

उपभोक्ता के स्तर पर जागरूकता : हमें यह जानना होगा कि जो हम खा रहे हैं, वह कहां से आ रहा है, किसने बनाया है, किस विधि से बना है। स्थानीय और विश्वसनीय उत्पादकों से ही खरीदें। लेबल पढ़ें, लाइसैंस नंबर देखें और संदिग्ध उत्पादों की रिपोर्ट करें।

उद्यमी के स्तर पर प्रतिबद्धता : जो भी खाद्य व्यवसाय से जुड़े हैं, उनके लिए यह केवल एक व्यापार नहीं बल्कि राष्ट्रसेवा है। यदि हम अपने बच्चों के लिए शुद्ध दूध चाहते हैं, तो दूसरों के बच्चों को मिलावटी दूध कैसे दे सकते हैं ? उद्यम को धर्म समझ कर चलाएं।

Adulteration

सामाजिक स्तर पर संगठित प्रयास : किसान संघ और स्वयंसेवी संगठन, सभी को मिलकर शुद्धता के लिए जनआंदोलन खड़ा करना होगा। ‘मिलावट मुक्त भारत’ केवल एक नारा नहीं, बल्कि व्यावहारिक कदम होना चाहिए।

गुरुजी गोलवलकर कहते थे, ‘‘जो कार्य समाज के कल्याण के लिए किया जाए, वही सच्चा सेवा कार्य है और सेवा का मतलब है: नि:स्वार्थ भाव से किया गया त्याग।’’

तो आइए, हम मिलकर संकल्प लें कि भोजन के इस पुण्य कार्य को व्यापारिक छल से नहीं, सेवा भाव से करेंगे। मुनाफा नहीं, मानवता हमारा मूलमंत्र होगा। शुद्धता ही सबसे बड़ा ब्रांड होगा।

Adulteration


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News