दर्शन: हिंदू देवी-देवताओं और बौद्ध धर्म की छाप के साथ लें पर्यटन का डबल मजा

punjabkesari.in Wednesday, Dec 28, 2016 - 03:10 PM (IST)

दौड़भाग में व्यस्त रहने वाले मुंबईकरों के लिए सबसे मुश्किल काम है अपने लिए वक्त निकालना लेकिन दिन-रात अपने दैनिक जीवन के संघर्ष के कारण पेश आने वाली थकावट और निराशा को दूर करने के लिए मनोरंजन तथा घूमना-फिरना भी जरूरी है। पर्यटन के लिहाज से घूमने-फिरने का शौक रखने वाले मुंबईकरों के लिए एलीफैंटा की गुफाएं बेहतरीन पर्यटन स्थल है। यहां मुंबईकर कम खर्च और कम समय में पर्यटन का पूरा लुत्फ उठा सकते हैं। एलीफैंटा की गुफाएं मुंबई महानगर और आसपास क्षेत्र के पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण केंद्र हैं, जो कि अरब सागर के एक द्वीप पर स्थित है। 


मुंबई में कलाबा स्थित गेटवे ऑफ इंडिया से 12 किलोमीटर दूर स्थित इन गुफाओं तक नौका (मोटर बोट) द्वारा पहुंचा जा सकता है, जो पर्यटन के लुत्फ को दोगुना कर देता है। अपनी कलात्मक गुफाओं के कारण प्रसिद्ध एलीफैंटा की गुफाओं को घारापुरी के पुराने नाम से भी जाना जाता है। पुरातनकाल में यह क्षेत्र कोंकणी मौर्य द्वीप की राजधानी थी। पांचवीं और आठवीं शताब्दी में निर्मित यहां सात गुफाएं हैं। गुफाओं में बनी ये मूर्तियां तकरीबन 5 से 8वीं शताब्दी में बनाई गई थीं लेकिन आज भी इसे किसने बनाया इस पर बहस जारी है। 


हालांकि 9वीं से 13वीं शताब्दी में सिल्हारा वंश के राजाओं द्वारा मूर्त निर्माण के भी प्रमाण मिले हैं। यहां की मुख्य गुफा में 26 स्तंभ हैं, जिनमें भगवान शिव को अनेक रूपों में उकेरा गया है। इन गुफाओं पर बने हाथियों की आकृति की वजह से 1534 में पुर्तगालियों द्वारा इसका नाम ‘एलीफैंटा’ रखा गया। पहाड़ों को काटकर बनाई गई ये मूर्तियां दक्षिण भारतीय मूर्तकला से प्रेरित हैं। यहां गुफाओं के दो समूह हैं, पहले समूह में पांच गुफाओं में हिंदू देवी-देवताओं और दूसरे समूह में दो गुफाओं में बौद्ध धर्म की छाप मिलती है। हिंदू गुफाओं में पत्थरों की मूर्तियां बनाई गई हैं। ये मूर्तियां भगवान शिव को चित्रित करती हैं। यहां हिंदू देवी-देवताओं के अनेक मंदिर और मूर्तियां भी हैं। ये मंदिर पहाडिय़ों को काटकर बनाए गए हैं। भगवान शंकर के विभिन्न रूपों तथा क्रियाओं को दर्शाती नौ बड़ी-बड़ी मूर्तियां हैं, जिनमें ‘त्रिमूर्त’ प्रतिमा सबसे आकर्षक है। इस मूर्त की ऊंचाई 17 फुट है। इसके अलावा पंचमुखी परमेश्वर, अर्धनारीश्वर, शिव का भैरव रूप आदि मूर्तियां भी आकर्षित करती हैं। एलीफैंटा की इन गुफाओं को सन 1987 में यूनैस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया।  सभी गुफाओं को प्राचीन समय में ही रंग दिया गया था लेकिन अभी केवल उसके कुछ अवशेष ही बचे हुए हैं। मुख्य गुफा (गुफा 1, सबसे बड़ी गुफा) 1534 तक पुर्तगाल के शासन के समय तक हिंदुओं के पूजा-अर्चना की प्रमुख जगह थी लेकिन 1534 के बाद गुफा को काफी क्षति पहुंची। 1970 में इसकी दोबारा मुरम्मत की गई थी और 1987 में यूनैस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट ने इसे डिजाइन भी किया था। फिलहाल इसकी देखरेख आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया  कर रहा है। 

पर्यटन के लिहाज से घूमने-फिरने का शौक रखने वाले मुंबईकरों के लिए एलीफैंटा की गुफाएं बेहतरीन पर्यटन स्थल है। यहां मुंबईकर कम खर्च और कम समय में पर्यटन का पूरा लुत्फ उठा सकते हैं। 


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