Ekdant Sankashti Chaturthi: एकदंत संकष्टी चतुर्दशी पर बन रहा अद्भुत योग, जानें क्या करें

punjabkesari.in Monday, May 08, 2023 - 07:39 AM (IST)

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Ekdant Sankashti Chaturthi 2023 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो चतुर्थी तिथि पड़ती हैं। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि विनायक चतुर्थी कहलाती है। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर गणपति बप्पा की पूजा करने से ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है। 6 मई से ज्येष्ठ माह की शुरुआत हो रही है और ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। ऐसे में चलिए जानते हैं ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि कब है-

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Ekdant Sankashti Chaturthi shubh muhurat एकदंत संकष्टी चतुर्थी  तिथि
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 8 मई 2023 को शाम 6 बजकर 18 मिनट पर हो रही है। इसका समापन 9 मई को शाम 4 बजकर 8 मिनट पर होगा। इस दिन शाम को चंद्रोदय के बाद पूजा की जाती है, इसलिए इस माह की संकष्टी चतुर्थी व्रत 8 मई को यानी आज रखा जाएगा। 

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भद्रा का समय
वैदिक पंचांग के अनुसार 09 अप्रैल 2023 के दिन सुबह 06.26 मिनट से सुबह 09.35 मिनट तक भद्रा का साया रहेगा। पौराणिक मान्यता है कि जब भद्रा का साया रहता है, उस दौरान सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है।

Importance of Ekdant Sankashti Chaturthi fast एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत का पौराणिक महत्व
विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत में भगवान गणेश और माता चौथ की आराधना की जाती है। इस व्रत को करने से संतान संबंधी सभी दुख दूर होते हैं और संतान का भविष्य उज्जवल बनता है। वहीं वैवाहिक जीवन में तनाव कम होता है और कारोबार में आ रही समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने से जातक को बल, बुद्धि, आरोग्य और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

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Do's and Don'ts on Ekdant Sankashti Chaturthi एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर क्या करें और क्या नहीं करें
धार्मिक मान्यता के अनुसार विकट संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करने से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।

माना जाता है कि गणेश पूजा में तुलसी दल या केतकी के फूल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि पूजा में ताजे फूल ही भगवान को अर्पित करें।

भगवान गणेश को जल्दी प्रसन्न करने के लिए उन्हें भोग में मोदक और मोतीचूर के लड्डू चढ़ाएं। ऐसा करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है।

भगवान गणेश को लाल रंग बहुत प्रिय है इसलिए कोशिश करें कि पूजा के वक्त आप लाल रंग के वस्त्र धारण करें और उन्हें लाल पुष्प, लाल चंदन लगाएं।

ऐसा माना जाता है कि जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने और सफलता प्राप्त करने के लिए भगवान पर दूर्वा जरूर चढ़ाएं।

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड राष्ट्रीय गौरव रत्न से विभूषित
पंडित सुधांशु तिवारी
9005804317

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Content Writer

Niyati Bhandari

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