नवंबर महीने में पड़ रहे हैं तीन एकादशी व्रत, बेहद शुभ

punjabkesari.in Sunday, Oct 31, 2021 - 04:17 PM (IST)

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नवंबर का महीना त्योहारों की दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही, लेकिन इस महीने तीन एकादशी व्रत आना भी बहुत शुभ माना जा रहा है। अमूमन हर महीने में दो एकादशी व्रत आते हैं।  एक एकादशी व्रत कृष्ण पक्ष में और दूसरी एकादशी व्रत शुक्ल पक्ष में रखा जाता है। लेकिन इस बार नवंबर में एक साथ 3 एकादशी तिथि पड़ रही हैं। 1 नवंबर, 15 नवंबर और 30 नवंबर को एकादशी तिथि हैं। धार्मिक रूप से एक साथ एक ही माह में तीन एकादशी तिथियों का आना ज्योतिष व शास्त्रों में बहुत ही शुभ माना जाता है।

एकादशी तिथि भगवान विष्णु जी को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्तियों को सभी सुख भोगकर अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में तो एकादशी के व्रत  का विशेष महत्व है।  एकादशी का व्रत काफी कठिन भी होता है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत और भगवान की पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आम तौर पर एक ही महीने में तीन एकादशी तिथि बहुत कम आती है। लेकिन इस बार नवंबर महीने में 1, 15 और 30 तारीख को एकादशी तिथि पड़ रही है।

1 नवंबर को रमा एकादशी व्रत है।  कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। वैसे तो सभी एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है लेकिन रमा एकादशी के दिन मां लक्ष्मी के रमा स्वरूप की पूजा की जाती है। एकादशी की शुरुआत 31 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 27 मिनट से अगले दिन 01 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 21 मिनट तक है।

नवंबर महीने की दूसरी एकादशी 15 नवंबर को देव उठानी एकादशी के रूप में है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठानी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे देव प्रबोधिनी और देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा के बाद जागते हैं और उनका शयन काल समाप्त होता है। 

इस दिन तुलसी माता और शालीग्राम का विवाह भी किया जाता है। इस दिन से ही मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे। कुंडली टीवी के दर्शकों को मैं बताना चाहूंगा कि एकादशी तिथि का प्रारम्भ- 14 नवम्बर, 2021 को प्रातः 05 बजकर 48 मिनट से शुरू हो कर 15 नवम्बर, 2021 को प्रातः 06 बजकर 39 मिनट पर समापन होगा।

नवंबर महीने की तीसरी एकादशी 30 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी के रूप में है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत  रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को विधि विधान और नियम के साथ रखने से धर्म और मोक्ष फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने से मन शांत होता है। शरीर स्वस्थ रहता है । इस दिन भगवान विष्णु जी की पूरी भक्ति भाव से पूजा की जाती है।

एकादशी पूजा विधि के बारे में यह बताना चाहूंगा कि एकादशी के व्रत में सुबह स्नान आदि करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। इसके बाद उन्हें फूल, तुलसी पत्र अर्पित करें और अगर संभव हो तो इस दिन व्रत रखें। 

भगवान की पूजा करने के बाद आरती करें और उन्हें भोग लगाएं। एकादशी के व्रत के दिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं और साथ ही भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते। एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। इस दिन अगर आप व्रत रखते हैं तो ज्यादा से ज्यादा ईश्वर का ध्यान करें। शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

गुरमीत बेदी 
gurmitbedi@gmail.com


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Content Writer

Jyoti

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