Dussehra Celebrations in India: देश भर में अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है विजयदशमी
punjabkesari.in Tuesday, Sep 30, 2025 - 06:36 PM (IST)

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Vijayadashami Festival Traditions 2025: दशहरा का पावन पर्व सिर्फ सनातन परंपरा से जुड़ी आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की लोक संस्कृति और परंपरा का भी अटूट हिस्सा है। यह पर्व हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है और इसे ‘विजयदशमी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है और इसलिए देशभर में इसे अलग-अलग रूपों में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
Dussehra 2025 Celebrations in India: दशहरे का सबसे लोकप्रिय रूप उत्तर भारत में देखने को मिलता है, जहां रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है। इस आयोजन से पहले रामलीला का मंचन होता है, जिसमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन इससे इतर भारत के तमाम शहरों में इसी दशहरे का अलग ही आकर्षण देखने को मिलता है। आइए भारत के विभिन्न शहरों में मनाए जाने वाले दशहरे की खास बातें और उससे जुड़ी परंपराओं के बारे में आपको बताते हैं।
Mysore Dussehra Celebration मैसूर का शाही दशहरा
कर्नाटक के मैसूर शहर में दशहरे को एक भव्य शाही आयोजन के रूप में मनाया जाता है। दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव की शुरुआत मैसूर पैलेस को रोशनी से सजाने के साथ होती है। यहां का मुख्य आकर्षण ‘जंबू सवारी’ है, जिसमें सजाए गए हाथी पर देवी चामुंडेश्वरी की प्रतिमा को बिठाकर पूरे शहर में शोभा यात्रा निकाली जाती है। इस उत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य, संगीत और स्थानीय कला का प्रदर्शन किया जाता है। देश-विदेश से लाखों पर्यटक इस आयोजन को देखने के लिए यहां आते हैं।
Kullu Dussehra International Festival कुल्लू का अंतर्राष्ट्रीय दशहरा
हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत शहहर कुल्लू का दशहरा भी अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। यहां का उत्सव मनाली के हिडिम्बा मंदिर में पूजा के साथ शुरू होता है। इसके बाद आस-पास के गांवों से लाई गई देवी-देवताओं की मूर्तियों के साथ एक भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है। यह जुलूस कुल्लू के मैदान में एकत्र होता है, जिसे ‘दशहरा मैदान’ कहा जाता है। उत्सव के अंत में ब्यास नदी के किनारे प्रतीकात्मक रूप से लंका दहन किया जाता है। कुल्लू दशहरा को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है और इसे देखने के लिए विदेशों से भी लोग आते हैं।
Ayodhya Ram Leela Dussehra श्रीराम की महिमा में रमा उत्तर भारत
दिल्ली, वाराणसी, प्रयागराज और भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या जैसे शहरों में दशहरा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की कथा का रामलीला समितियों द्वारा भव्य मंचन किया जाता है। सदियों से चले आ रही रामलीला सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद का भी जरिया बनती है। रामनगर की रामलीला को देखने के लिए केवल देश ही नहीं, विदेश से भी लोग पहुंचते हैं तो वहीं प्रयागराज के दशहरे की अपनी अलग रौनक होती है। यहां पर भगवान श्रीराम के जीवन प्रसंगों को आकर्षक चौकियों के जरिए दिखाया जाता है। पंजाब में जालंधर शहर सहित कई स्थानों पर रावण दहन किया जाता है।
Bastar Dussehra Festival बस्तर का विशेष दशहरा
बस्तर का दशहरा देश के अन्य भागों से बिल्कुल अलग है। यहां यह पर्व करीब 75 दिनों तक मनाया जाता है। यह उत्सव देवी दंतेश्वरी के सम्मान में होता है, जो बस्तर की आराध्य देवी मानी जाती हैं। इस दौरान देवी की रथयात्रा निकाली जाती है और विभिन्न जनजातियां अपनी पारंपरिक वेशभूषा और संगीत के साथ इसमें भाग लेती हैं। बस्तर दशहरा आदिवासी संस्कृति की झलक प्रस्तुत करता है और यह अपने आप में एक अनोखा अनुभव होता है।
Durga Puja and Dussehra in Bengal पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा
पश्चिम बंगाल में दशहरा और दुर्गा पूजा एक-दूसरे का पर्याय माने जाते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा होती है और दशमी के दिन उनकी प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है। खास बात है कि इस दिन महिलाएं ‘सिंदूर खेला’ नामक रस्म निभाती हैं, जिसमें वे एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर देवी दुर्गा को विदाई देती हैं। कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में बने भव्य पंडाल, मूर्तियों की कलाकारी और सांस्कृतिक कार्यक्रम यहां का मुख्य आकर्षण होते हैं।
Vijayawada Kanaka Durga Temple Dussehra विजयवाड़ा का दशहरा
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में कनक दुर्गा मंदिर में दशहरे के समय विशेष आयोजन होते हैं। यहां देवी को दस दिनों तक विभिन्न रूपों में सजाया जाता है। हर दिन का एक विशेष रूप होता है, जैसे बालात्रिपुरसुंदरी, अन्नपूर्णा, दुर्गा, काली आदि। यहां देवी के दर्शन और पूजन के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं।
Dussehra Garba and Dandiya Gujarat Maharashtra गुजरात और महाराष्ट्र की परंपराएं
गुजरात और महाराष्ट्र में दशहरे के समय डांडिया की धूम रहती है। यहां नवरात्रि की शुरुआत से ही गरबा और डांडिया प्रारंभ हो जाता है। जिसमें लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहन कर रात भर नृत्य करते हैं। महाराष्ट्र में दशहरे के दिन को बेहद खास माना जाता है। इस दिन लोग जहां नए कार्यों की शुरुआत करते हैं, वहीं इस दिन शस्त्रों की विशेष रूप से पूजा भी की जाती है।
Kota Ravan Effigy 100 Feet कोटा का 100 ऊंचा रावण का पुतला
राजस्थान के कोटा शहर में दशहरे का त्यौहार देखने आस-पास के गांवों के लोग ही नहीं, बल्कि कई विदेशी सैलानी भी आते हैं। कारण है यहां बनाया जाने वाला 100 फुट ऊंचा रावण का पुतला, जिसे ऊपर से रंगों से सजाते हैं और अंदर पटाखे भरे जाते हैं। पुतले की नाभि में जलता तीर फैंक कर बुराई पर अच्छी की जीत दिखाई जाती है।