बुधवार को इन लोगों को दें दान, नहीं होगा दोबारा इस योनि में जन्म

punjabkesari.in Tuesday, Jan 30, 2018 - 06:07 PM (IST)

किसी वस्तु पर से अपना अधिकार समाप्त करके दूसरे का अधिकार स्थापित करना दान है। साथ ही यह आवश्यक है कि दान में दी हुई वस्तु के बदले में किसी प्रकार का विनिमय नहीं होना चाहिए। इस दान की पूर्ति तभी कही गई है जबकि दान में दी हुईं वस्तु के ऊपर पाने वाले का अधिकार स्थापित हो जाए। इसी दान को लेकर हमारे समाज में एक प्रथा है जिसमें किन्नरों का बड़ा अहम रोल माना जाता है। 


किन्नर समाज का एक ऐसा वर्ग है जो सभी के लिए अक्सर जिज्ञासा और आश्चर्य का विषय होता है। इनके जीवन का एक मात्र सहारा क्षेत्रीय नाच-गान ही है। हमारे यहां कोई भी तीज-त्यौहार या शादी ब्याह का समारोह होता है तो किन्नरों को दान दिया जाता है, क्योंकि इन्हें दान देने से आर्थिक तरक्की होती है। कहते हैं ये अगर बुधवार के दिन किसी जातक को आशीर्वाद दे दें तो उसकी किस्मत खुल जाती है। शास्त्रों के अनुसार संचित,प्रारब्ध और वर्तमान मनुष्य के जीवन का कालचक्र है। संचित कर्मों का नाश प्रायश्चित और औषधि से होता है। आगामी कर्मों का निवारण तपस्या से होता है, लेकिन प्रारब्ध कर्मों का फल वर्तमान में भोगने के सिवा अन्य कोई उपाय नहीं है। कर्मों के अनुसार स्त्री-पुरुष या नपुंसक योनि में जन्म लेना पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार बुध को नपुंसक ग्रह माना गया है। माना जाता है कि किन्नरों पर बुध का विशेष प्रभाव होता है। इसलिए किन्नरों को दान देने से बुध प्रसन्न होते हैं। बुध को धन, बुद्धि तर्क व कर्म का कारक ग्रह माना गया है। बुध से संबंधित दान करने से संचित कर्मों का नाश होता है और अगले जन्म में किन्नर के रूप में जन्म नहीं लेना पड़ता है। इसलिए किन्नरों को दान करने को विशेष महत्व दिया गया है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News