क्या आप जानते हैं विजयादशमी और दशहरा में है अंतर?

punjabkesari.in Wednesday, Oct 13, 2021 - 03:58 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
शारदीय नवरात्रि के समापन होते ही दशहरा मनाया जाता है, हिंदू धर्म में इस त्यौहार का अधिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि इस दिन श्री राम ने रावण का वध कर उस पर विजय प्राप्त की थी। इसी के चलते देश के कोने-कोने में लोग रावण दहन कर बुराई पर अच्छाई की विजय का झंडा लहराते हैं। कहा जाता है चूंकि दशहरा से पहले यानि आश्विन मास की नवमी तिथि को शारदीय नवरात्रि का पर्व समापन होता है, इसलिए दशहरे के दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। कुछ लोग इसे दशहरे के नाम से जानते हैं तो कुछ लोग दशहरा कहते हैं। मगर ऐसा क्यों इस दिन को 1 से अधिक नामों से क्यो जाना जाता है, आइए जानते हैं यहां-

प्राचीन काल की मान्यताओं की मानें तो प्राचीन काल से अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को विजयदशमी का उत्सव मनाया जा रहा है। तो वहीं जब श्री राम ने इसी दिन लंकापति रावण का वध कर दिया तो इस दिन को दशहरा के नाम से जाना जाने लगा। यानि इससे ये बात स्वष्ट होती है कि विजयदशमी का पर्व रावण के वध से पहले से मनाया जा रहा है। तो आइए जानते हैं इससे जुड़ी मान्यताएं-

धार्मिक मान्याताएं कि देवी दुर्गा ने इस दिन यानि विजयदशमी को माता दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। कथाओं के अनुसार महिषासुर रंभासुर का पुत्र था, जो अत्यंत शक्तिशाली था। जिसने कठोर तक करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और वरदान मांगा। ब्रह्मा जी ने प्रकट होकर उसे कहा- 'हे वत्स! एक मृत्यु को छोड़कर, सबकुछ मांगों। जिसके बाद महिषासुर ने बहुत सोच विचार कर कहा- 'ठीक है प्रभो। आप मुझे ये वरदान दें कि किसी देवता, असुर और मानव किसी से मेरी मृत्यु न हो। केवल स्त्री के हाथ से मेरी मृत्यु निश्चित हो। ब्रह्माजी 'एवमस्तु' कहकर अंतर्ध्यान हो गए। ब्रह्मा जी से ये वर प्राप्त करने के बाद महिषासुर ने तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया और त्रिलोकाधिपति बन गया। उसके अत्याचारों से परेशान होकर तब सभी देवताओं ने देवी भगवती महाशक्ति की आराधना की।

ऐसा कहा जाता है तब समस्त देवताओं के शरीर से एक दिव्य तेज निकलकर परम सुंदरी स्त्री प्रकट हुई थी।जिसके बाद हिमवान ने देवी भगवती को सवारी के लिए सिंह दिया, तथा अन्य सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र महामाया की सेवा में प्रस्तुत किए। भगवती ने देवताओं पर प्रसन्न होकर उन्हें शीघ्र ही महिषासुर के भय से मुक्त करवाने का आश्वासन दिया। कथाओं के अनुसार देवी मां ने पूरे 9 दिन तक लगातार महिषासुर से युद्ध करने के बाद 10वें दिन उसका वध कर दिया। मान्यता है कि इसी उपलक्ष्य में विजयादशमी का उत्सव मनाया जाता है। बता दें कथाओं में वर्णन मिलता है ति महिषासुर एक असुर अर्थात दैत्य था, राक्षस नहीं।

इसके अलावा विजयदशमी के दिन ही प्रभु श्रीराम और रावण का युद्ध कई दिनों तक चलने के बाद समाप्त हुआ था। श्री राम ने रावण का वध करके देवी सीता को उसके चंगुल से छुड़ाया था। जिसके उपलक्ष्य में दशहरे का पर्व मनाया जाता है। बता दें रावण का वध दशमी के दिन किया गया था, रावण एक राक्षस था, असुर नहीं था। कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार इस दिन अर्जुन ने कौरव सेना के लाखों सैनिकों को मारकर कौरवों को पराजित किया था, जिसे अधर्म पर धर्म की जीत माना गया था।
 


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Content Writer

Jyoti

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