इस स्थल पर श्री राम ने सीखी थी ऋषि कर्क से ये अद्भुत विद्या!

punjabkesari.in Wednesday, Jun 16, 2021 - 01:11 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
रामायण में श्री राम के संपूर्ण जीवन का वर्णन मिलता है। तो वहीं इसमें उन तमाम स्थलों का भी उल्लेख पढ़ने को मिलता है जहां श्री राम अपने वनवास काल में गए हैं, निवास किया या कुछ देर बिताया है। इन स्थान वह स्थल भी शामिल हैं, जहां श्री राम युवा अवस्था में गए थे। लगातार अपनी वेबसाइट के द्वारा हम आपको ऐसे कई स्थलों के से रूबरू करवा चुके हैं, जिनका संबंध किसी ने किसी तरह श्री राम से संबंधित है। तो इनमें कुछ स्थल ऐसे भी हैं, जिनका रहस्य देवी सीता से जुड़ा है, कुछ का श्री राम के भ्राता लक्ष्मण जी से। आज भी अपनी इसी कड़ी को बरकरार रखते हुए आपको बताने जा रहे हैं श्री राम, देवी सीता व लक्ष्मण जी से जुड़े कई स्थलों के बारे जिनका अपना-अपना अलग महत्व व रहस्य है।

शबरी-सलेरू संगम, (ओडिशा)
मोटू से 2 किलोमीटर दूर सलेरू तथा शबरी नदी का पवित्र संगम है। माना जाता है कि श्री सीता जी ने यहां स्नान किया था। यहां तक श्रीराम शबरी नदी के किनारे-किनारे ही आए थे।

कर्क आश्रम, दुधवा, धमतरी, (छत्तीसगढ़)
जैसा कि पहले वर्णन आया है कि श्रीराम ने महानदी के किनारे-किनारे बहुत लंबी यात्रा की थी। मार्ग की दृष्टि से यहां से श्रीराम ने महानदी पार की थी। कुछ दूर तक किनारे-किनारे चलने के पश्चात उन्होंने महानदी का आश्रय छोड़ दिया था। माना जाता है कि ऋषि कर्क ने श्रीराम को शत्रु के हथियार ध्वस्त करने की विद्या सिखाई थी।

शिव मंदिर, चित्रकोट (इन्द्रावती) बस्तर, (छत्तीसगढ़)
इन्द्रावती नदी के बहुत ही मनमोहक जलप्रपात के पास एक गुफा में सीताजी तथा रामजी ने लीला की थी। श्रीराम ने यहां शिवलिंग की स्थापना भी की थी। आज यहां एक सुंदर मंदिर है जिसमें एक विशालकाय शिवलिंग देखते ही बनता है। 

श्री राम टेकड़ी मंदिर, रतनपुर
रतनपुर में पहाड़ी पर श्रीराम ने निवास किया था। पहाड़ी पर ऊंचे मंदिर में श्रीराम के पैर के अंगूठे से गंगाजी प्रवाहित हो रही हैं। 
(ग्रंथ उल्लेख : संकेत के रूप में वा.रा. 3/11/21 से 28 तक देखें)

राम झरना, सिंहपुर
रायगढ़ से 21 कि.मी. दूर भूपदेवपुर स्टेशन के पास जंगल में राम झरना है। तीनों ने यहां स्नान किया था। एक चमत्कार है कि झरने का पानी किसी भी मौसम में घटता-बढ़ता नहीं।
(ग्रंथ उल्लेख : संकेत के रूप में वा.रा. 3/11/21 से 28 तक देखें)

शिव मंदिर, जसपुर, बगीचा
यहां सीता मां ने वनवासियों को शीत ज्वर से बचाने के लिए तुलसी के पौधे लगाए थे। तब तुलसी का बगीचा लग गया और यह क्षेत्र बगीचा के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इसके पास पहाड़ी की तलहटी पर एक नाले के पास भगवान शिव का एक छोटा-सा मंदिर है। श्री राम ने यहां शिव पूजा की थी।  
(ग्रंथ उल्लेख :  संकेत के रूप में वा.रा. 3/11/21 से 28 तक देखें) —डा. राम अवतार


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News