Dharmik Katha: ऐसा क्या हुआ कि उत्तंग मुनि की वजह से श्री कृष्ण को होना पड़ा लज्जित!

punjabkesari.in Friday, Aug 26, 2022 - 11:06 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण द्वारिका जा रहे थे। मार्ग में उनकी भेंट उत्तंग मुनि से हुई। युद्ध की घटना से अंजान मुनि ने जब हस्तिनापुर की कुशलता पूछी तो श्रीकृष्ण ने उन्हें कौरवों के नाश का समाचार सुनाया। मुनि ने क्रोध में कहा-वासुदेव, यदि आप चाहते तो यह विनाश रुक सकता था। मैं अभी आपको श्राप दूंगा। श्रीकृष्ण मुस्कुराते हुए बोले-आप पहले मेरा शांतिपूर्वक पक्ष सुनें, फिर चाहें तो श्राप दे दें। ऐसा कहकर श्रीकृष्ण ने अपना विराट रूप दिखाया और धर्म की रक्षा के लिए कौरवों के नाश की आवश्यकता बताई।

श्रीकृष्ण ने उनसे वर मांगने को भी कहा। मुनि ने कहा-जब भी प्यास लगे मुझे वहीं जल मिल जाए। वर देकर श्रीकृष्ण चले गए। एक दिन वन में मुनि को बड़ी प्यास लगी। तभी वहां एक मैले कुचैले वस्त्रों में एक बूढ़ा दिखा। शिकारी कुत्तों के साथ वह हाथ में धनुष और पानी की मशक लिए हुए था। 
 

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करेंPunjabKesari
मुनि को देखकर वह मुस्कुराते हुए बोला-लगता है आप प्यासे हैं, लीजिए पानी पी लें और यह कहकर उसने मशक का मुंह आगे कर दिया। घृणा में मुनि ने जल नहीं पिया। उन्हें श्रीकृष्ण के दिए गए वर के इस स्वरूप पर क्रोध भी आया। तभी वह चांडाल हंसते हुए अंतर्ध्यान हो गया। 

मुनि को अहसास हुआ कि उनकी परीक्षा ली गई है। जब वहां श्रीकृष्ण प्रकट हुए तो उत्तंग ने कहा-प्रभु! आपने मेरी परीक्षा ली। मैं ब्राह्मण होकर चांडाल की मशक का जल कैसे पीता? 

श्रीकृष्ण ने मुस्कुराकर कहा-आपने जल की इच्छा की तो मैंने इन्द्र को अमृत पिलाने को कहा। मैं निश्चित था कि आप जैसा ज्ञानी ब्राह्मण और चांडाल के भेद से ऊपर उठ चुका होगा और आप अमृत प्राप्त कर लेंगे। आपने मुझे इन्द्र के सामने लज्जित किया। यह कहकर श्रीकृष्ण अंतर्ध्यान हो गए। —आचार्य ज्ञान चंद्र
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Related News