Dharmik Concept: केवल तपस्या से नहीं प्राप्त होता साधुत्व

punjabkesari.in Wednesday, Jul 21, 2021 - 02:17 PM (IST)

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एक साधु नदी के किनारे ध्यान मग्र थे। पास ही एक धोबी कपड़े धो रहा था। वहीं पास में उसने अपने गधों को भी चरने के लिए छोड़ रखा था। दोपहर का खाना खाने घर जाते वक्त धोबी ने साधु से कहा, ‘‘अरे ओ गुमसुम। जरा मेरे गधों को देखते रहना, मैं अभी आया रोटी खाकर घंटे भर में।’’ 

धोबी लौटा तो एक गधा कम पाया। वह चरते-चरते किसी नीची जगह चला गया था और नजर नहीं आ रहा था।

धोबी ने साधु को फटकारा। बड़ी देर तक बुरा-भला कहा। गाली-गलौच की। यहां तक कि उसने उसे मारने-पीटने तक का भी कह दिया। साधु से जब बर्दाश्त न हुआ तो उसे भी ताव आ गया।

अब क्या था। दोनों गुत्थमगुत्था हो गए। धोबी साधु की अपेक्षा ज्यादा बलवान था। उसने साधु को पछाड़ दिया और उसके सीने पर चढ़ बैठा। साधु ने शिकायत भरे लहजे में कहा, ‘‘मैं इतने दिनों से तपस्या करता रहा हूं, पर आज विपत्ति के समय कोई देव तक मेरी रक्षा को नहीं आ रहा।’’

तभी एक आवाज आई, ‘‘नहीं, ऐसा नहीं है, देव तो रक्षा के लिए आया है मगर उसे यहां यह नहीं मालूम हो रहा कि साधु कौन है और धोबी कौन।’’


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Content Writer

Jyoti

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