Dhanteras Katha: इस कथा में लक्ष्मी जी ने खुद बताए धन पाने के रहस्य, धनतेरस के दिन अवश्य पढ़ें एक बार
punjabkesari.in Saturday, Oct 18, 2025 - 06:46 AM (IST)

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Dhanteras Katha: एक बार भगवान विष्णु ने मृत्युलोक पृथ्वी पर विचरण करने का मन बनाया। उनकी पत्नी, देवी लक्ष्मी ने भी उनके साथ चलने की इच्छा जताई। विष्णु जी ने उनसे वादा लिया कि वह उनकी बात मानेंगी और जिस दिशा में जाने से वह मना करें, उधर नहीं जाएंगी। लक्ष्मी जी सहमत होकर उनके साथ भूमंडल पर आ गईं। एक जगह पहुंचकर, विष्णु जी ने लक्ष्मी जी को वहीं रुकने को कहा और स्वयं दक्षिण दिशा की ओर चल दिए, साथ ही उन्हें उस दिशा में आने से मना कर दिया। लेकिन लक्ष्मी जी के मन में कौतूहल जागा कि आखिर उस दिशा में ऐसा क्या है। वह स्वयं को रोक न सकीं और चुपके से विष्णुजी के पीछे-पीछे चल पड़ीं। उन्हें रास्ते में एक सरसों का खेत मिला। सरसों के पीले फूलों की सुंदरता से मंत्रमुग्ध होकर उन्होंने फूल तोड़कर अपना शृंगार कर लिया। आगे चलकर, उन्होंने गन्ने के खेत से गन्ने तोड़े और उनका रस चूसने लगीं।
ठीक उसी समय विष्णु जी वहां आ गए। उन्होंने लक्ष्मी जी को सरसों के फूल तोड़ते और गन्ने का रस चूसते देखा। वह बहुत क्रोधित हुए क्योंकि लक्ष्मीजी ने उनकी आज्ञा नहीं मानी थी और साथ ही किसान के खेत में चोरी का अपराध कर बैठी थीं।
किसान के घर 12 वर्ष की सेवा
इस अपराध के दंड स्वरूप, भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी को शाप दिया कि वह 12 वर्षों तक उसी गरीब किसान के घर उसकी सेवा करेंगी। ऐसा कहकर, विष्णुजी उन्हें छोड़कर क्षीर सागर चले गए। लक्ष्मी जी उस किसान के घर रहने लगीं। गरीबी में जीवन बिता रहे किसान और उसकी पत्नी को उन्होंने एक उपाय बताया। लक्ष्मी जी ने उसकी पत्नी से कहा कि वह पहले स्नान करें, फिर उनके द्वारा बनाई गई देवी लक्ष्मी की मूर्ति की पूजा करें और उसके बाद ही रसोई का काम करें। किसान की पत्नी ने ऐसा ही किया। पूजा के प्रभाव और लक्ष्मी जी की कृपा से, किसान का घर अगले ही दिन से अन्न, धन, रत्न और सोने से भर गया। लक्ष्मी जी ने 12 वर्षों तक उस परिवार को सभी सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण रखा।
धनतेरस का आरंभ
जब 12 वर्ष पूरे हुए तो भगवान विष्णु लक्ष्मी जी को वापस लेने आए। लेकिन अब किसान इतना समृद्ध और सुखी था कि उसने लक्ष्मी जी को भेजने से इनकार कर दिया। विष्णु जी ने उसे समझाया कि लक्ष्मी चंचला हैं और उनका शाप पूरा हो चुका है। किसान तब भी हठ पर अड़ा रहा। तब स्वयं लक्ष्मी जी ने किसान से कहा कि अगर वह उन्हें रोकना चाहता है, तो कल तेरस है। वह कल अपने घर को साफ-सुथरा करे, रात में घी के दीए जलाए, शाम को उनकी पूजा करे, और तांबे के कलश में रुपए भरकर रखे। लक्ष्मी जी ने वादा किया कि वह उस कलश में निवास करेंगी, हालांकि पूजा के समय वह दिखाई नहीं देंगी। उन्होंने कहा कि इस एक दिन की पूजा से वह साल भर उसके घर में निवास करेंगी। किसान ने अगले दिन लक्ष्मी जी के बताए अनुसार पूरी श्रद्धा से पूजा की। उसका घर पहले की तरह धन-धान्य से भरा रहा। कथा के अनुसार, तभी से हर साल तेरस के दिन लक्ष्मी जी की यह पूजा होने लगी। यही दिन आगे चलकर धनतेरस के नाम से जाना गया, जो धन और समृद्धि के लिए मनाया जाता है।