Dahi Handi: घर पर इस विधि से करें दही हांडी की तैयारी, जानें शुभ मुहूर्त
punjabkesari.in Saturday, Aug 16, 2025 - 06:37 AM (IST)

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Dahi Handi 2025: दही हांडी केवल खेल नहीं बल्कि यह हमें एकता और सहयोग का संदेश देती है। चाहे चुनौती कितनी भी ऊंची क्यों न हो, साथ मिलकर उसे पार किया जा सकता है। मटकी के भीतर का माखन मीठा होता है जैसे जीवन की मेहनत के बाद मिलने वाली सफलता का स्वाद। यही कारण है कि यह उत्सव भक्ति के साथ-साथ जीवन जीने की कला भी सिखाता है।
हांडी का अर्थ है मिट्टी से बना एक गोल पात्र। इस उत्सव के लिए हांडी में दही और माखन भर दिया जाता है और इसे ऊंचे स्थान पर लटका देते हैं। इसके बाद लड़के-लड़कियों का समूह गोपाल बनकर इस खेल में हिस्सा लेते हैं। कई जगह इस खेल को प्रतियोगिता के तौर पर भी आयोजित किया जाता है और जीतने वाले को इनाम के साथ सम्मानित करते हैं।
Dahi Handi 2025 Date and Time दही हांडी मनाने का शुभ मुहूर्त
दही हांडी मनाने का शुभ मुहूर्त शनिवार 16 अगस्त 2025 की रात 9:34 से लेकर सुबह 7:24 बजे तक रहेगा। इस दौरान नवमी तिथि प्रभावकारी है। भोग के रूप में दही, माखन, मिश्री और फल अर्पित करें।
Choose the right place and direction for Dahi Handi दही हांडी के लिए सही स्थान और दिशा चुनें
भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए दही हांडी सजाना केवल रंग-बिरंगी साज-सज्जा नहीं, बल्कि भक्ति, पवित्रता और शुभ संकेतों का संगम होना चाहिए। हांडी को घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में या आंगन/बालकनी में लटकाएं। यह दिशा वास्तु के अनुसार सबसे शुभ और देव पूजन के लिए आदर्श मानी जाती है।
The Sacred Preparation of Dahi Handi दही हांडी की पवित्र तैयारी
नई या अच्छी तरह धुली मिट्टी/पीतल की हांडी लें। लटकाने से पहले गंगा जल या गौ मूत्र से शुद्धि करें।
Traditional decoration of Dahi Handi दही हांडी की पारंपरिक सजावट
हांडी पर हल्दी, कुमकुम और चंदन से स्वस्तिक या ओम बनाएं। पीले, लाल और हरे रंग की रंगोली, रिबन और चमकीले कपड़े से लपेटें। आम और अशोक के पत्तों की बंदनवार से सजाएं।
Sacred Filling in Dahi Handi दही हांडी में पवित्र भराव
हांडी के अंदर दही, माखन, मिश्री, शक्कर, पिसी इलायची, सूखे मेवे और तुलसी पत्ते डालें। यह संयोजन श्रीकृष्ण के प्रिय और मंगलकारी माने जाते हैं।
Worship of Dahi Handi दही हांडी की पूजा
सजाने के बाद दीपक जलाएं, श्रीकृष्ण के नाम का कीर्तन करें। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। घंटी बजाते हुए आरती करें और प्रसाद अर्पित करें।