Coronavirus Prediction : नारद संहिता में हजारों वर्ष पहले ही महारोग आने का किया गया था जिक्र

punjabkesari.in Wednesday, Mar 18, 2020 - 08:56 AM (IST)

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जालंधर (धवन): विश्व भर में कोरोना वायरस (Coronavirus ) ने हाहाकार मचाकर रख दी है परन्तु भारतीय ज्योतिष में कोरोना वायरस का जिक्र हजारों वर्ष पूर्व आया हुआ है। नारद संहिता में एक श्लोक में इस युग में एक बड़े महारोग के बारे में लिखा गया है। उसमें बताया गया कि सूर्य ग्रहण के पश्चात पूर्वी देश से एक महारोग आएगा। 26 दिसम्बर, 2019 को सूर्य ग्रहण लगा और इसके लगते ही चीन के वुहान से इस महारोग की यात्रा आरंभ हो गई। संवत 2076 वैसे भी शनि प्रधान था, जबकि 25 मार्च, 2020 को आरंभ होने वाले नव सम्वत् 2077 में राजा बुध और मंत्री चंद्र है। 

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देश के प्रमुख ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटु के अनुसार 2020 का कुल जोड़ 4 आता है, जोकि राहु से संबंधित है। राहु से संबंधित वर्ष में वायु से जुड़े रोगों का फैलाव तेजी से होता है परन्तु साथ ही इस वर्ष को प्रौद्योगिकी में विकास के साथ भी जोड़कर देखा जा सकता है। राहु ग्रह त्वचा रोगों, खुजली, जहर फैलाना, कोरोनिक बीमारियों, महामारी आदि का कारक होता है। 

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कोरोना वायरस का कारण राहु व शनि

भारतीय ज्योतिष में वायरस का कारण राहु व शनि को माना जाता है और इन्हीं के प्रकोप के चलते कोरोना महामारी फैली है। शनि के स्वराशि मकर में होने के कारण इसका प्रभाव निरंतर बढ़ रहा है। हालांकि सूर्य जब मेष राशि में प्रवेश करेंगे तब कोरोना का अंत भी संभव हो पाएगा। ज्योतिष के अनुसार सूर्य 14 अप्रैल, 2020 को मेष राशि में प्रवेश करेंगे। वर्तमान में राहु अपनी उच्च राशि मिथुन में गोचर कर रहे हैं। इसे काल पुरुष की कुंडली में मुंह, नाक, कान, गले का कारक माना जाता है।

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मिथुन राशि वायु तत्व राशि है और राहु वायरस से इसका विस्तार वायु व नमी में बहुत तेजी से होता है। इसलिए राहु को मिथुन राशि व आद्र्रा नक्षत्र में सबसे ज्यादा बलशाली भी माना जाता है। नक्षत्र के अंतिम दिनों में इसका प्रभाव भी कम हो जाएगा। 14 अप्रैल से इसका असर कम होना शुरू हो जाएगा। यहां गुरु ग्रह की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 5 नवम्बर, 2019 को जैसे ही गुरु व केतु धनु राशि में आए, पूरे विश्व में एक विषैले वायरस का जन्म हो गया। 26 दिसम्बर के ग्रहण के बाद इसमें और तेजी आ गई। 

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वैसे भी ज्योतिष में यह कहा जाता है कि किसी शताब्दी के अंत में शून्य अर्थात जीरो आता है तो उस काल खंड में कोई न कोई महामारी आई है। ईसा पूर्व की शताब्दियों में भी इसका उल्लेख मिलता है। लिखित रिकार्ड 1520 से मिल जाता है जब अफ्रीकी गुलामों के कारण यूरोप में चेचक और प्लेग के कारण काफी लोग मरे थे।

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1620 में भी इसी तरह का जानलेवा संक्रमण फैला और मानव जीवन को नुक्सान पहुंचा। 1620 में केवल इटली में ही प्लेग के कारण 17 लाख लोग मारे गए थे। बूबानिक प्लेग ने भी फ्रांस में लगभग 1 लाख लोगों की जानें लीं। 1820 में थाईलैंड, इंडोनेशिया और फिलीपींस में हैजा फैला। 1920 में भी स्पैनिश फ्लू फैला था। अब 2020 में अंतिम अंक पुन: शून्य आया है, जिस कारण कोरोना का कहर देखने को मिल रहा है। 

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Niyati Bhandari

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