Christmas Story: क्रिसमस 25 दिसंबर को ही क्यों? प्रभु यीशु मसीह की जन्मकथा और इतिहास
punjabkesari.in Tuesday, Dec 23, 2025 - 10:39 AM (IST)
Christmas Story: ईसाई धर्म के सबसे पवित्र पर्व क्रिसमस (Christmas Day) को हर साल 25 दिसंबर के दिन पूरी दुनिया में श्रद्धा, प्रेम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह दिन प्रभु यीशु मसीह (Jesus Christ) के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है। लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह प्रश्न रहता है कि यीशु मसीह का जन्म 25 दिसंबर को ही क्यों माना जाता है? आइए इस पवित्र तिथि से जुड़ी धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक कथा को सरल शब्दों में समझते हैं।

प्रभु यीशु मसीह का जन्म: बाइबिल की कथा
ईसाई धर्मग्रंथ बाइबिल के अनुसार, प्रभु यीशु का जन्म बेथलेहम नामक स्थान पर हुआ था। उनकी माता का नाम मरियम (Mary) और पिता यूसुफ (Joseph) थे। यीशु का जन्म एक साधारण गौशाला में हुआ, क्योंकि उस समय नगर में उनके ठहरने के लिए कोई स्थान उपलब्ध नहीं था। उनके जन्म के समय आकाश में एक विशेष तारा चमका, जिसे बेतलेहम का तारा (Star of Bethlehem) कहा जाता है। इसी तारे के मार्गदर्शन में तीन ज्ञानी पुरुष (Wise Men) उन्हें देखने आए और उपहार अर्पित किए।

25 दिसंबर को ही क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?
बाइबिल में प्रभु यीशु की जन्मतिथि का स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता। इतिहासकारों और धर्मशास्त्रियों के अनुसार, 25 दिसंबर को यीशु का जन्म मानने की परंपरा चौथी शताब्दी में शुरू हुई। उस समय रोमन साम्राज्य में सूर्य देव से जुड़ा पर्व Sol Invictus मनाया जाता था। ईसाई धर्म के प्रचार के लिए चर्च ने इसी तिथि को यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में स्वीकार किया।
ईसाई मान्यता के अनुसार, यीशु को “विश्व का प्रकाश” (Light of the World) कहा गया है, इसलिए वर्ष के सबसे अंधकारमय समय में उनके जन्म का प्रतीकात्मक महत्व माना गया।

प्रभु यीशु का संदेश और जीवन दर्शन
प्रभु यीशु मसीह ने अपने जीवन में प्रेम, क्षमा, दया, सेवा और सत्य का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम करो जैसे तुम स्वयं से करते हो।”
उनका जीवन मानवता के लिए त्याग और करुणा का आदर्श है। क्रिसमस केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और मानव सेवा का पर्व भी है।

क्रिसमस का आध्यात्मिक महत्व
क्रिसमस हमें यह सिखाता है कि अहंकार छोड़कर प्रेम को अपनाएं, जरूरतमंदों की सहायता करें और शांति का मार्ग चुनें। यही प्रभु यीशु मसीह की सच्ची शिक्षाएं हैं।

