Chhinnamasta Jayanti: दुश्मनों से हैं परेशान तो आज गुप्त रुप से करें ये काम
punjabkesari.in Wednesday, May 06, 2020 - 06:25 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Chhinnamasta Jayanti: छिन्नमस्ता देवी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इन्हें महाविद्यायों में प्रचंड चंड नायिका के नाम से भी पूजा जाता है। मान्यता है की ये शत्रु नाश की सबसे बड़ी देवी हैं। कुछ विद्वान तो यहां तक कहते हैं की भगवान परशुराम ने इसी विद्या के प्रभाव से अपार बल अर्जित किया था। भगवान शिव इनके कबंध हैं। देवी के स्वरुप पर दृष्टि डालें तो उनके एक हाथ में अपना खुद का मस्तक है और दूसरे हाथ में खडग धारण कर रखा है।
देवी की अराधना से आयु, आकर्षण, धन और कुशाग्र बुद्धि मिलती है। रोगमुक्ति व शत्रुनाश के लिए तो मां छिन्नमस्ता की अराधना सर्वोत्तम लाभ देती है। पुराणों के अनुसार ये देवी प्राणतोषिनी हैं। इनका शुद्ध ह्रदय से विधिवत पूजन करने वाला व्यक्ति शत्रुबंधन से निश्चित ही मुक्ति प्राप्त करता है।
शाम के समय प्रदोषकाल में पूजा घर में दक्षिण-पश्चिम मुखी होकर नीले रंग के आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने लकड़ी के पट्टे पर नीला वस्त्र बिछाकर उस पर छिन्नमस्ता यंत्र स्थापित करें। दाएं हाथ में जल लेकर संकल्प करें तत्पश्चात हाथ जोड़कर छिन्नमस्ता देवी का ध्यान करें।
ध्यान: प्रचण्ड चण्डिकां वक्ष्ये सर्वकाम फलप्रदाम्। यस्या: स्मरण मात्रेण सदाशिवो भवेन्नर:।।
देवी छिन्नमस्ता की विभिन्न प्रकार से पूजा करें। सरसों के तेल में नील मिलाकर दीपक करें। हो सके तो देवी पर नीले फूल (मन्दाकिनी अथवा सदाबहार) चढ़ाएं। देवी पर सुरमे से तिलक करें। लोहबान से धूप करें और इत्र अर्पित करें। उड़द से बने मिष्ठान का भोग लगाएं। तत्पश्चात बाएं हाथ में काले नमक की डली लेकर दाएं हाथ से काले हकीक अथवा अष्टमुखी रुद्राक्ष माला अथवा लाजवर्त की माला से देवी के इस अदभूत मंत्र का यथासंभव जाप करें।
मंत्र: श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाहा: ।।
जाप पूरा होने के बाद काले नमक की डली को बरगद के नीचे गाड़ दें। बची हुई सामग्री को जल प्रवाह कर दें। इस साधना से शत्रुओं का तुरंत नाश होता है, रोजगार में सफलता मिलती है, नौकरी में प्रमोशन मिलती है तथा कोर्ट कचहरी वाद-विवाद व मुकदमों में निश्चित सफलता मिलती है। महाविद्या छिन्नमस्ता की साधना से जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
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