अजब-गजब: शिवा जी शेरनी से मांग कर लाए थे दूध, पढ़ें कथा

punjabkesari.in Wednesday, Sep 08, 2021 - 12:32 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
समर्थ गुरु रामदास स्वामी अपने शिष्यों में सबसे अधिक स्नेह छत्रपति शिवाजी महाराज से करते थे। शिष्य सोचते थे कि उन्हें शिवाजी से उनके राजा होने के कारण ही अधिक प्रेम है। समर्थ ने शिष्यों का भ्रम दूर करने के बारे में विचार किया। एक दिन वह शिवाजी सहित अपनी शिष्य मंडली के साथ जंगल से आ रहे थे। 

रात्रि होने पर उन्होंने समीप की एक गुफा में जाकर डेरा डाला। सभी वहां लेट गए, किंतु थोड़ी ही देर में रामदास स्वामी कराहने लगे। कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि मेरे पेट में दर्द है।

अन्य शिष्य चुप रहे पर शिवाजी ने कहा कि क्या इस दर्द को दूर करने की कोई दवा है। गुरु जी बोले, ‘‘एकमात्र सिंहनी का दूध ही मेरे पेट के दर्द को दूर कर सकता है।’’

शिवाजी सिंहनी की खोज में निकल पड़े। उन्हें एक गुफा और एक सिंहनी की गर्जना सुनाई दी। वे वहां गए, तो देखा कि एक सिंहनी शावकों को दूध पिला रही थी। उन्होंने कहा कि मां मैं तुम्हें मारने या तुम्हारे इन छोटे-छोटे शावकों को लेने नहीं आया हूं। मेरे गुरुदेव अस्वस्थ हैं और उन्हें तुम्हारे दूध की आवश्यकता है। उनके स्वस्थ होने पर यदि तुम चाहो तो मुझे खा सकती हो। सिंहनी शिवाजी के पैरों को चाटने लगी। तब शिवाजी ने सिंहनी का दूध निचोड़ कर बर्तन में भर लिया और वापस लौट आए।

सिंहनी का दूध लाया देख गुरुदेव बोले, ‘‘धन्य हो शिवा। आखिर तुम सिंहनी का दूध ले ही आए। उन्होंने कहा कि मैं तो तुम सभी की परीक्षा ले रहा था। पेट दर्द तो एक बहाना था। गुरु जी ने शिवाजी से कहा कि अगर तुम जैसा शूरवीर शिष्य मेरे साथ हो तो मुझे कोई विपदा नहीं छू सकती।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Related News