Chhath Puja 2021: इन प्रसंग से जानिए छठ मइया का प्रताप

punjabkesari.in Wednesday, Nov 10, 2021 - 10:27 AM (IST)

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प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को धूम धाम से देशभर के विभिन्न हिस्सों में छठ महापर्व मनाया जाता है। इस दौरान छठी मइया  तथा सूर्य देव की उपासना का विधान होता है। धार्मिक शास्त्रों में इस दिन का अधिक महत्व बताया गया है। साथ ही साथ समाज में छठी मइया के प्रताप से जुड़ी कई मान्यताएं व कथाएं प्रचलित हैं। तो आइए जानते हैं इनके प्रताप की अलग-अलग प्रसंग - 

छठ मइया का प्रताप
लोक आस्था छठ पूजा महापर्व पिछले कई सालों से मना रही हूं। छठ माता व भगवान सूर्यदेव की कृपा से घर में सूख-शांति है। यह पर्व लोककल्याण का पर्व है। छठ व्रत करने से मन को अपार शांति मिलती है। इस महपर्व पर हम सब 36 घंटे का उपवास रखकर भगवान सूर्य की उपासना करते हुए सबको सुख-संपन्न रहने की कामना करते हैं। मेरे घर में छठ पूजा के लिए पहले से तैयारी होने लगती है। छठ मइया की कृपा से व्रत सुलभता से संपंन्न हो जाता है। —रंजना (नरेला)

मैं पिछले 15 साल से दिल्ली में रहती हूं। पहले मैं गांव जाकर यह महापर्व करती थी लेकिन पिछले कुछ सालों से दिल्ली में इस महापर्व को मना रही हूं क्योंकि अब दिल्ली में सूर्य देवता को अर्घ्य देने के लिए सभी सामान मिल जाता है। अब पूरी श्रद्धा से इस महापर्व को मनाती हूं। परिवार के सभी लोग संग होते हैं। छठ माता की कृपा से घर सूख-संपन्न है। आदित देव से अब यही इच्छा है कि उनका आर्शीवाद सदा हमेशा यूं ही बना रहेगा। —सुंदरम श्रीवास्तव (बदरपुर)

छठ या षष्ठी पूजा कार्तिंक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला यह एक हिन्दू पर्व है। छठ पूजा सूर्य, उषा, प्रकृति,जल, वायु और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है, ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन की देवतायों को बहाल करने के लिए धन्यवाद और कुछ शुभकामनाएं देने का अनुरोध किया जाए। छठ में कोई मूर्तिपूजा शामिल नहीं है। मन से देवताओं का अराधना करने वाला पर्व है। इस पर्व ने मुझे इतना प्रभावित किया है कि मैं पिछले कई साल से छठ पूजा में बढ़ चढ़कर भाग लेती हूं।     —सोनल तंवर (द्वारका)

हम ऐसा मानते हैं कि सूर्य पुत्र कर्ण ने ही छठ पूजा की शुरुआत की थी। वो भगवान सूर्य के इतने बड़े भक्त थे कि रोज घंटों कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य को अर्घ्य देते थे। तभी से सूर्यदेव की पूजा होने लगी और वैसे ही अर्घ्य देने लगे हमारे बड़े बुजुर्ग। घंटों पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। मेरे बड़े बेटे का जन्म छठी मैया के आशीर्वाद से ही हुआ है।  —मन्जू देवी, छठ व्रती


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Content Writer

Jyoti

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