अगर आज सुबह नहीं कर पाए आद्याशक्ति काली की पूजा, तो शाम को कर लें ये
punjabkesari.in Wednesday, Jul 03, 2019 - 05:26 PM (IST)
ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
अक्सर कुछ लोगों का मानना होता है कि समस्त देवी-देवताओं की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय होता है प्रातःकाल। यही कारण है हिंदू धर्म में पढ़ने वाले त्यौहार व पर्व आदि की पूजा आदि सुबह ही की जाती है। लेकिन अब सोचने वाली ये है कि अगर किसी के पास सुबह पूजा-पाठ करने का समय न हो तो उसे कभी शुभ फल की प्राप्ति नहीं होगी? जी नहीं, ऐसा नहीं है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी के पास प्रातःकाल पूजा करने का समय न हो या फिर किसी और कारणवश सुबह पूजन संपन्न न की जा पाए तो शाम को पूजा की जा सकती है। तो अगर आप भी गुप्त नवरात्रि के पहले नवरात्रि के दिन प्रातः में आद्या शक्ति मां काली की पूजा नहीं कर पाए तो घबराईए मत अभी भी आपके पास इन्हें खुश करने का मौका है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर कोई साधक इन 9 दिनों तक मां काली के निम्न बताए गए 108 नामों का जाप आगे बताई गई पूजन विधान के साथ करता है तो माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती हैं।
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ऐसे करें माता महाकाली का पूजन
चाहे मां काली का स्वरूप उग्र है परंतु यह भी सत्य है कि कलियुग में अत्यधिक जागृत दैवीय शक्तियों में महाकाली का परम स्थान है। जिस पर भी मां एक बार प्रसन्न हो जाती है उन भक्तों की मनोकामनाएं शीघ्र-अतिशीघ्र पूरी हो जाती हैं।
इसके लिए 9 दिनों तक घर में आद्या शक्ति मां काली की पूजा आसानी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करके तिलक, लाल पुष्प आदि से इसका पूजन करें और मां को काले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
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इन 108 नामों का जप करें
9 के 9 दिन मां के इन 108 नाम का नियमित रूप से प्रातः मध्याह्न, सायं तथा रात्रि में जप या पाठ करने से घर में मां काली निवास होता है और साधक को जल, अग्नि, श्मशान, युद्धस्थल में किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता नही रहता। साथ ही माता उसकी सभी मनोकामना पूरी कर देती हैं।
काली, कापालिनी, कान्ता, कामदा, कामसुंदरी, कालरात्री, कालिका, कालभैरवपूजिता, कुरुकुल्ला, कामिनी, कमनीयस्वभाविनी, कुलीना, कुलकर्त्री, कुलवर्त्मप्रकाशिनी, कस्तूरीरसनीला, काम्या, कामस्वरूपिणी, ककारवर्णनीलया, कामधेनु, करालिका, कुलकान्ता, करालास्या, कामार्त्ता, कलावती, कृशोदरी कामाख्या, कौमारी, कुलपालिनी, कुलजा, कुलकन्या, कलहा, कुलपूजिता, कामेश्वरी, कामकान्ता, कुब्जेश्वरगामिनी, कामदात्री, कामहर्त्री, कृष्णा, कपर्दिनी, कुमुदा, कृष्णदेहा, कालिन्दी, कुलपूजिता, काश्यपि, कृष्णमाला, कुलिशांगी, कला, क्रींरूपा, कुलगम्या, कमला, कृष्णपूजिता, कृशांगी, कन्नरी, कर्त्री, कलकण्ठी, कार्तिकी, काम्बुकण्ठी, कौलिनी, कुमुदा, कामजीविनी, कुलस्त्री, कार्तिकी, कृत्या, कीर्ति, कुलपालिका, कामदेवकला, कल्पलता, कामांगबद्धिनी, कुन्ती, कुमुदप्रिया, कदम्बकुसुमोत्सुका, कादम्बिनी, कमलिनी, कृष्णानंदप्रदायिनी, कुमारिपूजनरता, कुमारीगणशोभिता, कुमारीरंश्चरता, कुमारीव्रतधारिणी, कंकाली, कमनीया, कामशास्त्रविशारदा, कपालखड्वांगधरा, कालभैरवरूपिणि, कोटरी, कोटराक्षी, काशी, कैलाशवासिनी, कात्यायिनी, कार्यकरी, काव्यशास्त्रप्रमोदिनी, कामामर्षणरूपा, कामपीठनिवासिनी, कंकिनी, काकिनी, क्रिडा, कुत्सिता, कलहप्रिया, कुण्डगोलोद्-भवाप्राणा, कौशिकी, कीर्तीवर्धिनी, कुम्भस्तिनी, कटाक्षा, काव्या, कोकनदप्रिया, कान्तारवासिनी, कान्ति, कठिना, कृष्णवल्लभा।
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