चाणक्य नीति सूत्र- ‘परिश्रम’ बिना धन प्राप्ति नहीं

punjabkesari.in Sunday, Feb 21, 2021 - 03:13 PM (IST)

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लक्षय और धन, ये दोनों ही चीज़ें हर किसी के जीवन में महत्व रखती है। जिस व्यक्ति की जीवन लक्ष्य हीन होता है वो कभी अपने जीवन में सफल नहीं हो पाता तो वही जिसके जीवन में पर्याप्त धन न हो उसका जीवन भी किसी काम नहीं माना जाता है। क्योंकि अगर व्यक्ति के पास धन नहीं होगा तो उसकी रोज़मर्रा की जरूरतों को पूरा नही कर सकेगा।

आचार्य  चाणक्य ने अपने नीति सूत्र के बारे में बता लक्षय और धन से संबंधित खास बातें बताई है। चाणक्य के अनुसार लक्ष्य के बिना व्यक्ति धन नहीं कमा सकता। क्योंकि जब तक व्यक्ति अपना लक्ष्य निर्धारित नहीं करता है, उसका जीवन व्यर्थ होता है। उसके भीतर किसी चीज़ को पाने का जजबा नहीं होता। जिस कारण उसे धन प्राप्ति हो, ये एक तरह से असंभव माना जाता है। और अगर ये अपने जीवन में धन कमा भी लेेते हैं तो वो धन ज्यादा समय तक  इनके पास टिक नहीं पाता। 

इसके बाद आचार्य ने बताया है कि लक्ष्य तथा धन को पाने के लिए परिश्रम की अधिक आवश्यकता होता है। अगर व्यक्ति बिना मेहनत करे अपने लक्ष्य को पाने में कभी सक्षम नहीं हो सकता है।

यहां जानिए इससे जुड़ी हुई नीतियां-

चाणकय नीति श्लोक-

‘लक्ष्य’ बिना जीवन व्यर्थ
न पुष्पार्थी सिंचति शुष्कतरुम्
भावार्थ- फूलों की इच्छा रखने वाला सूखे पेड़ को नहीं सींचता। हर व्यक्ति के जीवन का एक लक्ष्य होता है। वह अपने उसी लक्ष्य को पाने के लिए प्रयत्नशील रहता है। इधर-उधर की बातों में वह अपना समय नष्ट नहीं करता।
 

चाणकय नीति श्लोक-
'परिश्रम’ बिना धन प्राप्ति नहीं
अद्रव्यप्रयत्नों बालुकाक्वाथनादनन्य:।

भावार्थ- बिना प्रयत्न किए धन प्राप्ति की इच्छा करना बालू में से तेल निकालने के समान है। धन प्राप्ति के लिए मनुष्य को एक निश्चित योजना के तहत कार्य करना पड़ता है तभी वह धन प्राप्त कर पाता है। जो प्रयत्न नहीं करता, ऐसा आलसी व्यक्ति व्यर्थ में ही बालू में से तेल निकालने जैसी हरकत करता है।


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Content Writer

Jyoti

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